Book Title: Bhagvati Sutram Part 03
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 207
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्याख्याप्राप्ति ॥७७७॥ ९ शतके उद्देशः५ ॥७७७॥ CACACACACK धूमप्पभाए होज्जा १७ जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा १९ अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होन्जा २० जाव अहवा एगे सकर० एगे पंक०एगे अहेसत्तमाए होजा २२ अहवा एगे सकरप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा २३ अहवा एगे सकरप्पभाए एगे धूमप्प. एगे अहेसत्तमाए होजा ४ अहवा एगे सकरप्पभाए एगे तमाए एगे अहेमत्तमाए होज्जा - ५ अहवाएगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होजा २६ अहवा एगे बालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाएँ एगे तमाए होजा २७ अहवा एगे बालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा २८ अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एग तमाए होजा २९ अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेमत्तमाए होजा ३० अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ३१ अहवा एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होजा ३२ अहवा एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेमत्तमाए होजा ३३ अहवा एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा ३४ अहवा एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा ३५ १ अथवा एक रत्नप्रभामा एक शर्कराप्रभामां अने एक वालुकाप्रभामा होय. २ अथवा एक रत्नप्रभामां एक शर्कराप्रभामां 3 अने एक पंकप्रभामां होय, यावत् ५ अथवा एक रत्नप्रभामां एक शर्कराप्रभामां अने एक अधःसप्तम पृथिवीमा होय. (: एक रत्न प्रभामां एक शर्कराप्रभामां अने एक धूमप्रभामां होय. ४ अथवा एक रत्नप्रभामां एक शर्कराप्रभामां अने एक तमःप्रभामां होय. ५ अथवा एक रत्नप्रभामां एक शर्कराप्रभामां अने एक तमःतमाप्रभामां होय. ए प्रमाणे रत्नप्रभा साथे पांच विकल्प थाय.) १ अथवा CANCHARACANCCACACCORE For Private and Personal use only

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