Book Title: Bhagvati Sutram Part 03
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher: Hiralal Hansraj
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व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥७६६॥
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___से णं भंते ! कतिसु णाणेसु होजा?, गोयमा! तिसु वा चउसु वा होजा, तिसु होजमाणे तिसु आभिणियो-I हियनाणसुयनाणओहिनाणेसु होजा, चउसु होजमाणे आभि. सुय० ओहि मणप० होजा । से ण भंते ! किं सयोगी होज्जा अयोगी होज्जा, एवं जोगोवओगो संघयणं संठाणं उच्चत्तं आउयं च,एयाणि सव्वाणि जहा असोचाए तहेव भाणियब्वाणि ।से णं भंते! किं सवेदए०१,पुच्छा,गोयमा!सवेदए होजा अवेदए वा, जइ अवेदए होजा
उद्देश किं उवसंतवेयए होजा खीणवेयए होजा?, गोयमा!नो उवसंतवेयए होज्जा,खीणवेदए होजा, जह सवेदए होजा
| ॥७६॥ किं इत्थीवेदए होज्जा पुरिसवेदए होज्जा नपुंसगवेदए वा होज्जा पुरिसनपुंसगवेदए होज्जा ?, पुच्छा, गोयमा! इत्थीवेदए वा होज्जा पुरिसवेदए वा होज्जा पुरिसनपुंसगवेदए वा होज्जा । से णं भंते ! किं सकसाई होज्जा अकसाई वा होज्जा ?, गोषमा! सकसाई वा होज्जा अकसाई वा होज्जा, जइ अकसाई होज्जा किं उवसंतकमाई होज्जा खीणकसाई होज्जा?, गोयमा! नो उवसंतकसाई होज्जा, खीणकसाई होज्जा, जइ सकसाई होज्जा | से णं भंते ! कतिसु कसाएसु होज्जा?, गोयमा! चउसु वा तिसु वा दोसु वा एकंमि वा होजा, चउसु होजमाणे | चउसु संजलणकोहमाणमायालोमेसु होजा, तिसु होजमाणे तिसुसंजलणमाणमायालोमेसु होजा, दोसु होज|माणे दोसु संजलणमायालोमेसु होजा, एगमि होजमाणे एगंमि संजलणे लोभे होजा। | [प्र०] हे भगवन् ! ते (अवधिज्ञानी) केटलां ज्ञानमां वर्ततो होय ! [उ०] हे गौतम! ते त्रण के चार ज्ञानमां होय. जो त्रण | ज्ञानमां होय तो आमिनिबोधिक ज्ञान, श्रुतज्ञान अने अवधिज्ञानमा होय, जो चार ज्ञानमा होय तो ते आभिनिबोधिकज्ञान, श्रुत-18
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