Book Title: Bhagvati Sutram Part 03
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 182
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra व्याख्या प्रज्ञसिः ॥७५२॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सेणं असोचा केवलिस्स वा जाव नो संजमेज्जा, से तेणद्वेणं गोयमा ! जाव अत्थेगतिए नो संजमेज्जा । [प्र० ] हे भगवन्! केवली पासेथी यावत् सांभळ्या विना कोइ जीव शुद्ध संयमवडे संमयतना करे? [30] हे गौतम! केवली पाथी यावत् तेना पक्षनी उपासिका पासेथी सांभळ्या विना पण कोइ जीव शुद्ध संयमवडे संयमयतना करे, अने कोइ जीव न करे. [प्र० ] हे भगवन् ! ए प्रमाणे शा हेतुथी कहो छ। के यावत् संयमयतना न करे [अ०] हे गौतम! जे जीवे यतनावरणीय कर्मोनो क्षयोपशम कर्यो छे ते जीव केवली पासेथी यावत् सांभळ्या विना पण शुद्ध संयमवडे संयमयतना करें, अने जे जीवे यत नांवरणीय कर्मोंनो क्षयोपशम नथी कर्यो ते जीव केवली पासेथी यावत् सांभळ्या विना शुद्ध संयमवडे संयमयतना न करे, माटे हे गौतम ! ते हेतुथी एम कछु छे के, यावत् 'कोइ संयंम न करे. ' असोचा णं भंते! केवलिस्स वा जाव उवासियाए वा केवलेणं संवरेण संवरेज्जा ?, गोयमा असोचाणं केवलिस्स | जाव अत्थेगतिए केवलेण संवरेण संवरेजा अन्थेगतिए केवलेण जाव नो संवरेजा, से केणद्वेणं जाव नो संवरेज्जा?, गोयमा जस्स णं अज्झवसाणावर णिज्जाणं कम्माणं खओवसमे कडे भवइ से णं असोचाकेवलिस्स वा जाव केवलेणं संवरेणं संवरेजा, जस्स णं अज्झवसाणावरणिजाणं कम्माणं खओवसमे णो कडे भवइ से णं असोचाकेवलिस्स वा जाव नो संवरेज्जा, से तेणट्टेणं जाव नो संवरेज्जा । असोचा णं भंते! केवलिस्स जाव केवलं आभिणिबोहियनाणं उप्पाडेजा ?, गोयमा ! असोचाणं केवलिस्स वा जाव उवासियाए वा अत्थेगतिए केवलं आभिणिबोहियनाणं उपाडेजा अत्थेगइए केवलं आभिणिवोहियनाणं नो उप्पाडेजा, से केणट्टेणं जाव नो उप्पाडेजा ?, गोपमा ! For Private and Personal Use Only ९ शतके उद्देशः४ ॥७५२॥

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