Book Title: Bhagvati Sutram Part 03
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher: Hiralal Hansraj
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
८ शतके
व्याख्या प्रज्ञप्तिः ॥७१८॥
o
॥७१८॥
रीरपयोगनामाए कम्मस्स उदएण जावप्पओगबंधे। सायावेयणिज्नकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं!, गोयमा! पाणाणुकंपयाए भूयाणुकंपयाए एवं जहा सत्तमसए दसमोइसए जाव अपरियावणयाए सायावेयणिज्नकम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं सायावेयणिज्जकम्मा जाव बंधे। अस्सायावेयणिज्ज पुच्छा, गोयमा! परदुकखणयाए परसोयणयाए जहा सत्तमसए दसमोद्देसए जाव परियावणयाए अस्सायवेयणिज्जकम्मा जावपयोगबंधे।
[प्र०] हे भगवन् ! कार्मणशरीरमयोगबन्ध केटला प्रकारनो कह्यो छे ? [उ०] हे गौतम ! आठ प्रकारनो कह्यो छे, ते आ | प्रमाणे--ज्ञानावरणीयकार्मणशरीरप्रयोगबन्ध, यावद् अन्तरायकार्मणशरीरप्रयोगबन्ध. [प्र०] हे भगवन् ! ज्ञानावरणीयकार्मण शरीरप्रयोगबन्ध कया कर्मना उदययी पाय छे?[उ०] हे गौतम ! ज्ञाननी प्रत्यनीकताथी, ज्ञाननो अपलाप करवाथी, ज्ञाननो अन्तराय-विघ्न करवायी, जाननो पद्वेष करवाथी, ज्ञाननी अत्यन्त आशातना करचाथी, ज्ञानना विसंवादन योगथी अने ज्ञानावरणीयकार्मणशरीरप्रयो| गनामकर्मना उदययी झानावरणीयकार्मणशरीरमयोगवन्ध थाय छे. [प्र०] हे भगवन् ! दर्शनावरणीयकार्मणशरीरप्रयोगबन्ध कया है कर्मना उदयथी थाय छे ? [उ०] हे गौतम ! दर्शननी प्रत्यनीकताथी-इत्यादि जेम ज्ञानावरणीयना कारणो कया छे तेम दर्शनावरणीय माटे जाणवा; परन्तु (शानावरणीयस्थाने) 'दर्शनावरणीय' कहे, यावद् दर्शन विसंवादनयोगथी, तथा दर्शनावरणीयकार्मणशरीरप्रयोगनामकर्मना उदयथी दर्शनावरणीयकार्मणशरीरमयोगवन्ध धाय छे. [प्र०] हे भगवन ! सातावेदनीयकार्मणशरीरप्रयोगबन्ध कया कर्मनाउदयथी थाय छे ? [उ.] हे गौतम! पाणीओ उपर अनुकम्पा करवाची, भूतो उपर अनुकंपा करवाथी-इत्यादि जेम
सर
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212