Book Title: Bhagvati Sutram Part 03
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher: Hiralal Hansraj
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भ्याख्याप्रज्ञप्ति ७३५॥
अने द्रव्यदेशो छे. ।। ३५६ ॥ Pा केवतिया णं भंते! लोयागासपएसा पन्नत्ता, गोयमा! असंखेज्जा लोयागासपएमा पन्नत्ता ॥ एगमेगस्स णं
८ शतके भते! जीवस्म केवइया जीवपएसा पण्णत्ता, गोयमा! जावतिया लोगागासपएसा एगमेगस्स णं जीवस्स एवतिया जीवपएसा पण्णत्ता ॥ ( सूत्रं ३५७ )॥
उद्देशः१०
॥७३५॥ | [40] हे भगवन् ! लोकाकाशना प्रदेशो केटला कह्या छे ? [उ०] हे गौतम ! असंख्य प्रदेशो कया छे. [प्र०] हे भगवन् !
एक एक जीवना केटला जीवप्रदेशो कह्या छे ? [उ०] हे गौतम ! जेटला लोकाकाशना प्रदेशो कह्या छे तेटला एक एक जीवना | प्रदेशो वह्या के. ॥ ३५७॥
कति गंभंते ! कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ?, गोयमा! अट्ट कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ, तंजहा-नाणावर|णिज्जं जाव अंतराइयं, नेरयाणं भंते ! कइ कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ?, गोयमा! अह, एवं सब्बजीवाणं अट्ठ कम्मपगडीओ ठावेयवाओ जाव वेमाणियाणं | नाणावरणिजस्स णं भंते! कम्मस्म केवतिया अविभागपलिच्छेदा पण्णत्ता?, गोयमा! अणंता अविभागपरिच्छेदा पण्णत्ता, नेग्इयाणं भंते ! णाणावरणिजस्स कम्मस्स2 केवतिया अविभागपलिच्छेया पण्णत्ता, गोयमा! अणंता अविभागपलिच्छेदा पण्णत्ता, एवं सब्वजीवाणं जाव वेमाणियाण पुच्छा, गोयमा! अणंता अविभागपलिच्छेदा पण्णत्ता, एवं जहा णाणावरणिजस्स अविभागपलिच्छेदा भणिया तहा अट्ठण्हवि कम्मपगडीण भाणियब्वा जाव वेमाणियाणं, अंतराइयस्स । एगमेगस्स
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