Book Title: Bhagvati Sutram Part 03
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher: Hiralal Hansraj
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
66
व्याख्याप्रज्ञप्तिः
८ शतके | उद्देशः ९
॥६९६॥
|हूर्त, अने उत्कृष्टथी संख्यातकाल सुधी रहे छे. ए प्रमाणे श्लेषणाबन्ध कह्यो.
से किं तं उच्चयबंधे ?, उच्चयबंधे जन्नं तणरासीण वा कट्ठरासीण वा पत्तरासीण वा तुसरासीण वा भुसरा. सीण वा गोमयरासीण वा अवगररासीण वा उच्चत्तणं बंधे समुप्पज्जइ जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणंसंखेनं कालं, सेत्तं उच्चयबंधे, से किं तं समुच्चयबंधे ?, समुच्चयबंधे जन्नं अगडतडागनदीदवावीपुक्खरिणीदीहियाणं गुंजलियाणं सराणं सरपंतिआणं सरसरपंतियाणं बिलपंतियाणं देवकुलसभापब्वथूभखाइयाणं फरिहाणं पागा. रहालगचरियदारगोपुरतोरणाणं पासायघरसरणलेणआवणाणं सिंघाडगतियचउक्कचच्चरचउम्मुहमहापहमादीणं छुहाचिक्खिल्लसिलेससमुच्चएणं बंधे समुच्चए णं बंधे समुप्पजइ जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेनं कालं, सेत्तं समुच्चयबंधे, से किं तं साहणणाबंधे?, साहणणाबंधे दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-देससाहणणाबंधे य सव्वसाहणणाबंधे य, से किं तं देमसाहणणाबंधे ?, देससाहणणाबंधे जन्नं सगडरहजाणजुग्गगिल्लिथिल्लिसीयसंदमाणियालोहीलोहकडाहकडुच्छुआसणसयणखभभंडमत्तोवगरणमाईणं देससाहणणाबंधे समुप्मजइ जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेनं कालं, सेत्तं देससाहणणाबंधे,
प्र०] उच्चयबन्ध केवा प्रकारनो कह्यो छे ? [उ०] तृणराशिनो, काष्ठराशिनो, पत्रराशिनो, तुषराशिनो, भुसानी राशिनो, छाणना ढगलानो अने कचराना ढगलानो उच्चपणे जे बन्ध थाय छे ते उच्चयबन्ध छे. ते जघन्यथी अन्तर्मुहूर्त, अने उत्कृष्टथी संख्येयकाल सुधी रहे छे. ए प्रमाणे उच्चयबन्ध कह्यो. [प्र०] समुच्चयबन्ध केवा प्रकारनो कह्यो छे ? [उ०] कुवा, तळाव, नदी, द्रह, वापी,
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212