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८ शतके उद्देशः८ ॥६७८॥
बंधंति ७ अहवा मणुस्सा य मणुस्सीओ य बं०८॥ तं भंते! किं. इत्थी बंधइ पुरिसो बंधह नपुंसगो बंधति इत्थीओ व्याख्या- ॐबंधन्ति पुरिमा बं० नपुंसगा बंधन्ति नोइत्थीनोपुरिसोनोनपुंसओ बंधइ ?, गोयमा! नो इत्थी बंधइ नो पुरिसो प्रज्ञप्तिः बं० जाव नो नपुंसगा बंधन्ति, पुवपडिवन्नए पडुच्च अवगयवेदा बंधति, पडिवजमाणए य पडुच्च अवगयवेदो बा ॥६७८॥ बंधति अवगयवेदा वा बंधति
[प्र.] हे भगवन् ! बन्ध केटला प्रकारनो कयो छे ? [उ०] हे गौतम ! बन्ध के प्रकारनो को छे, ते आ प्रमाणे-ऐपिथिकबन्ध अने सांपरायिकबन्ध. [प्र०] हे भगवन् ! ऐर्यापथिक कर्म शु१ नारक बांधे, २ तिर्यच बांधे, ३ तिर्यच वी बांधे, ४ & मनुष्य बांधे, ५ मनुष्यस्वी बांधे, ६ देव बांधे के ७ देवी बांधे ? [उ०] हे गौतम!१ नारक बांधतो नथी, २ तिर्यच बांधतो नथी,
३ तिर्यंचस्त्री बांधती नथी, ४ देव बांधतो नथी अने ५ देवी बांधती नी; पण पूर्वप्रतिपन्नने आश्रयी मनुष्यो अने मनुष्य स्वीओ बांधे छे. प्रतिपद्यमानने आश्रयी १ मनुष्य बांधे छे. २ अथवा मनुष्यस्त्री बांधे छे. ३ अथवा मनुष्यो बांधे छे. ४ अथवा मनुष्य स्त्रीओ बांधे छे; ५ अथवा मनुष्य अने मनुष्यस्त्री बांधे छे. ६ अथवा मनुष्य अने मनुष्यस्वीओ बांधे छे. ७ अथवा मनुष्यो अने
मनुष्यस्त्री बांधे छे. ८ अथवा मनुष्यो अने मनुष्यस्वीओ बांधे छे.[प्र०] हे भगवन् ! ते ऐर्यापथिक कर्मने शु१खी बांधे, २ पुरुष४ वांधे, ३ नपुंसक बांधे, ४ स्त्रीओ बांधे, ५ पुरुषो बांधे, ६ नपुंसको बांधे, ७ नोस्त्री, नोपुरुष, के नोनपुंसक बांधे ? [उ.] हे गौतम! है स्त्री न बांधे, यावत् नपुंसको न बांधे; अथवा पूर्वप्रतिपनने आश्रयी वेदरहित जीवो बांधे, अथवा प्रतिपद्यमानने आश्रयी वेदरहित
जीव अथवा वेदरहित जीवो बांधे.
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