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व्याख्या
प्रज्ञप्तिः ॥६०२||
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PIरिणए १ अहवा एगे सच्चमणप्पओगप० एगे सच्चामोसमणप्पओगपरिणए २ अहवा एगे सच्चमणप्पयोगप-1 रिणए एगे असच्चामोसमणप्पओगपरिणए ३ अहवा एगे मोसमणप्पयोगप० एगे सच्चामोसमणप्पगोगप०४/31 शतके
अहवा एगे मोसमणप्पयोगप० एगे असच्चामोसमणप्पयोगप०५ अहवा एगे सच्चामोसमणप्पओगप० एगे| लाउद्देशः१ | असच्चामोसमणप्पओगप०६।।
॥६०२।। [प्र०] हे भगवन् ! बे द्रव्यो शुं प्रयोगपरिणत होय, मिश्रपरिणत होय के विस्रसापरिणत होय ? [उ०] हे गौतम! ते प्रयोगपरिणत होय, मिश्रपरिणत होय के विस्रसापरिणत पण होय. १ अथवा एक द्रव्य प्रयोगपरिणत होय अने बीजें मिश्रपरिणत होय. २ अथवा एक द्रव्य प्रयोगपरिणत होय अने बीजं विस्रसापरिणत होय. ३ अथवा एक द्रव्य मिश्रपरिणत होय अने बीजें वित्रसापरिणत होय. [H०] हे भगवन् ! जो ते वे द्रव्यो प्रयोगपरिणत होय तो शुं मनःप्रयोगपरिणत होय, वचनप्रयोगपरिणत होय के कायप्रयोगपरिणत होय? [उ०] हे गौतम! ते बे द्रव्यो मतःप्रयोगपरिणत होय, वचनप्रयोगपरिणत होय अने कायप्रयोगपरिणत होय. १ अथवा एक द्रव्य मनःप्रयोगपरिणत होय अने बीजु वचनप्रयोगपरिणत होय. २ अथवा एक मनःप्रयोगपरिणत होय अने बीजुं कायप्रयोगपरिणत होय. ३ अथवा एक वचनप्रयोगपरिणत होय अने बीजु कायप्रयोगपरिणत होय. [प्र०] | हे भगवन् ! जो ते बे द्रव्यो मनःप्रयोगपरिणत होय तो शुं सत्यमनःप्रयोगपरिणत होय, असत्यमनःप्रयोगपरिणत होय, सत्यमृषामनःप्रयोगपरिणत होय के असत्यामृषामनःप्रयोगपरिणत होय ? [उ.] हे गौतम ! सत्यमनःप्रयोगपरिणत होय के यावत् असत्यामृषामनःप्रयोगपरिणत होय. १ अथवा एक सत्यमनःप्रयोगपरिणत होय अने बीजं मृषामनःप्रयोगपरिणत होय. २ अथवा एक
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