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ध्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥६४८॥
८शतके उद्देशः५
SESASARASURESTHA
ते श्राक्कना मनमा एवं होय छे के-'मारे माता नथी, पिता नथी, भाई नथी, बहेन नथी, स्त्री नथी, पुत्रो नथी, पुत्री नथी, अने स्नुपा (पुत्रवधू) मथी, परन्तु लेने प्रेमबन्धन त्रुट्युं नथी, ते हेतुथी हे मौतम! ते पुरुष तेनी स्त्रीमे सेवे छे, पण अन्य स्त्रीने | सेवतो नथी. ॥ ३२७ ॥
समणोचासगस्स पं भंते ! पुवामेव धूलए पाणाइवाए अपञ्चक्रवाए भवइ, से णं भैते पच्छा पचाइक्क माणे किं करेति?, गोयमा तीयं पडिक्कमइ पडुप्पनं संवरेड अणागयं पञ्चक्खाति। तीयं पडिक्कममाणे किं तिविहं |तिविहेणं पडिक्कमति१तिविहं दुविहेणं पडिक्कमति २तिविहं एगविहेणं पडिक्कमति ३ दुविहं तिविहेणं पडिहै कमति ४ दुबिहं दुविहेणं पडिकमति ५ दुविहं एगविहेणं पडिक्कमति ६ एगविहं तिविहेणं पडिक्कमति ७. एकविहं दुविहेणं पडिक्कमति ८ एक्कविहं एकाविहेणं पडिक्कमति ९, गोयमा ! तिविहं तिविहेणं पडिकमति तिचिह दुविहेण वा पडिक्कमति तं व जाव एक्कविहं वा एकविहेण परिक्कमति, तिविहं वा तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेति न कारवेति करेंत णाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा १, तिविहं दुविहेणं पडिन क.न का करें नाणुजाणइ मणसा वयसा २, अहवा न करेइन का० करते नाणुजा मणसा कायसा ३, अह न करेइ ३ वपसी कायसा ४, तिविहं एगविहेणं फडिन करेति ३ मणसा ५, अहवा न करेइ ३ वयसा ६, अहवा न करेइ३ कायसा ७, दुविंह ति.प.म करेइन का० मणसा वयसा कायसा८, अहवान करेइ करेंतं नाणुजाणइ मण. वय० काय.९.अहवा न कारवेइ करतं नाणुजा मणसा बयसा कायसा १०, दु. दु. ५०नक न का.म.
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