Book Title: Barsasutra
Author(s): Dipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
Publisher: Dipak Jyoti Jain Sangh Mumbai

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ 卐0000000卐OR यह पुत्र हाथ-पैर से सुकोमल बनेगा, पांचो इन्द्रियो और शरीर से हीन नहीं परन्तु संपूर्ण होगा याने सांगोपांग, अच्छे लक्षणवाला होगा, अच्छे व्यञ्जन युक्त बनेगा, अच्छे गुणों वाला बनेगा, मान में, वजन में और ऊंचाई में बराबर पूर्ण होगा, उचित अंगवाला और सर्वांग सुंदर होगा, चन्द्र जैसा सौम्य, मनोहर एवं प्रिय लगे वेसा - रुपवाला तथा देवकुमार की तुलना लायक होगा। ___९) “और वह पुत्र जब बाल्यावस्था पूरी कर, समझदार बन प्राप्त की हुई समझदारी को पचानेवाला बनेगा। R युवावस्था पाकर वह ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, ओर अथर्ववेद को-इन चारों वेदों को और पांचवा इतिहास को-महाभारत को- छठा निघंटु नामक शब्दकोष का ज्ञाता बनेगा। ___वह इन सब पूर्वोक्त शास्त्रों को सांगोपांग जाननेवाला बनेगा, रहस्य सहित समझानेवाला बनेगा, चारों ॐ प्रकार के वेदों का पारंगामी बनेगा, जो वेद विगेरे भूल गये होंगे उनको यह तुम्हारा पुत्र याद करानेवाला होगा, वेद के छः अंगों का वेत्ता यानी जानकार बनेगा, षष्टितंत्र नामक शास्त्र का विशारद बनेगा। इसके सिवाय 10500055000 For Pille & Personal use only mantieninternational

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 ... 224