Book Title: Anuyogdwar Sutram
Author(s): 
Publisher: 

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 12 पुच्छणाए,परियट्टणाए,धम्मकहाए, नो अणुप्पेहाए / कम्हा? अणुवओगो दन्वमितिक? 15 // नेगसमसणं-एगो अणुव उनो आगमओ एगदमावस्सयं, दोणि उता आलओ दोष्णि दब्यावस्त्रयाइं. निणि अणुव उत्ता आगमओ तिण्णि दय राया, एवं जावइया अणुव ऽत्ता आगमओ तावइयाई दव्यावस्मयाई / एवं मेव वाह ररपति / संगहस्सागो वः अणेगोवा, अणुवउत्तो वा अणुवउत्सा वा. आगपओ यावरयं वा दवावस्सयाणि वा, से एगे दव्यावस्तयं / उज्जुस्यस्त-एगो ब्रहाचारी मुनि श्री अमोलक रिजी द्रव्य भावकको कन? उत्तर-अहो शिष्य ! मात्र उपयोग रहित सब क्रिया होने से उसे द्रव्य आप कहना " " अब इस का विशेष खलासा के लिये मात नय से द्रव्य आवश्यक का "--...नामयम ए.. स्नुष्य उपयोग रहित आवश्यक करता है उसे आगम से एक द्रव्य या यदि दो व्यक्ति उपयोग गहित आवश्यक कहते हैं तो उसे दो द्रव्य आवश्यक काना. यो कार जितनी व्यक्ति उपयोग रहित आवश्यक करते हैं उसे उतने ही द्रव्य आवश्यक #हना. जैसा यह भय का मत हा वैमा ही व्यवहार नय का मत जानना. 3 संग्रह नय से एक मनुष्य अधव न मय उपयोग हित आवश्यक करते हैं उसे एक ही द्रव्य आवश्यक कहना. काक " संग्रह नयवाला सामान्य विशेषको एक रूपही मानता हैं. चौथा ऋज सूत्र नयवाला भी एक व्यक्ति उपयोग प्रकाशक-राजावडा र लाला सुखदेवसहायजी ज्वालामगदमी अर्थ 10. अनवादक For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 373