Book Title: Anekant 1988 Book 41 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 36
________________ पं० टोडरमल स्मारक ट्रस्ट-डीड-संशोधन-प्रसंग पाठकों को स्मरण हो कि वीर सेवा मन्दिर सोसायटी ने पं० टोडरमल स्मारक के ट्रस्ट डीड में संशोधन कराने हेतु एक अपील प्रकाशित की थी। उस पर पाठकों ने अपनी सहमति देकर उसका आदर किया । हम पाठकों के सहयोग के लिए आभारी है। पाठकों की जानकारी के लिए संक्षिप्त-विवरण निम्न प्रकार है :वीर सेवा मन्दिर द्वारा अपील आज जहाँ एक ओर मूल आगमों के सार्वजनिक शब्द रूपों में मनमाना बदलाव किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर दिगम्बर जैन धर्म को कानजी स्वामी द्वारा प्रतिपादित घोषित किया जा रहा है। पडित टोडरमल स्मारक, बापू नगर, जयपुर के ट्रस्ट डीड सन् १९६४ के अनुसार तीर्थंकरों द्वारा प्रतिपादित दिगम्बर जैन धर्म को कानजी स्वामी द्वारा प्रतिपादित वीतराग दिगम्बर जैन धर्म बताया जा रहा है । यह कैसी विडम्बना है ? ट्रस्ट डीड के आपत्तिजनक अनुच्छेद नीचे दिए जा रहे है :Para-5 OBJECT OF THE TRUST SHALL BE : To propagate the tenets of Vitrag Digamber Jain Religion as propounded by Prampujya Sadgurudav Shri Kanji Swami" (here in after refered to as 'Digamber Jain Religion" for the sake of brevity but it shall always mean religion as propounded by parampujya Sadgurdev Shri Kanji Swami) in general and to carry out any activity in any manner for the purpose." Para No. 28 Any person who is following the tenets of the Digamber Jain Religion as propounded by Parampujya Shri Kanji Swamy will be at liberty to attend and to worship in the temple at such time or times of the day as may be prescribed by the Trustees" हिन्दी अनुवाद ट्रस्ट के उद्देश्य होंगे "अनुच्छेद-५ साधारण या परमपूज्य सदगुरुदेव श्री कानजी स्वामी द्वारा प्रतिपादित वीतराग दिगम्बर जैन धर्म के तत्वों का प्रचार-प्रसार करना तथा इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए किसी भी गतिविधि को चलाना । वीतराग दिगम्बर जैन धर्म को ही संक्षेप की दृष्टि से आगे दिगम्बर जैन धर्म कहा गया है, किन्तु इसमे मदेव परमपूज्य सद्गुरुदेव श्री कान जी स्वामी द्वारा प्रतिपादित धर्म ही अभिप्रेत होगा:" "अनुच्छेद २८ प्रत्येक व्यक्ति जो परमपूज्य कानजी स्वामी द्वारा प्रतिपादित जैन धर्म के सिद्धान्तो का अनुयायी है, इस बात के लिए स्वतन्त्र होगा कि वह दिन के ऐसे समय या समयो पर जो न्यासियों द्वारा निश्चित किए जाएँ, मन्दिर में आएं और उपासना करें।" वीर सेवा मन्दिर को पंडित टोडरमल स्मारक के ट्रस्ट की फोटो प्रति प्राप्त होने पर संस्था की कार्यकारिणी ने अपनी बैठक १३ मई १९८८ मे निर्णय लिया है कि प० टोडरमल स्मारक ट्रस्ट के डीड़ की उक्त धारये जैन

Loading...

Page Navigation
1 ... 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142