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KES BALEARS
श्री सपना मागेवानाये ४ह्यु - आपकी बात सच्ची ! मां लोगांका स्वार्थ वास्ते तो आपने इं केवां नी', फायदो तो शासनरे ज हवो और बीच-बीचमे आप पधार गया बहारला गावांने विचरवाने मी थोडा ही रोक्या? बापजी सा! दया करों अब! मांकी तो शान बिगड जावेला! शासन की जो शोभा आपने बढ़ाई है, उसमें भी काफी फरक पडेला ! माहि
Yoयश्री पूछ्यु -क्या बात है ? यह तो कहे ! श्रीसपना मागेवानाये हुं - " बापजी ! ढुढीयारा वडा पूज्यश्री अब के चौमासा बास्ते आई रहा है ! बणां लोगा इसी बात फैलाई है कि
सवेगी साधुओं ने उदयपुरमें उल्टा-मुल्टा प्रचार करके लोगों को मूर्ति पूजाके अधर्म में फसाना चालु किया है, वणरा प्रतिकार वास्ते मी आवां हां"
और "दकालमें अधिक मास की ज्यु आर्यसमाजी लोग भी विदेशनंदजी नाम के धुरंधर महात्माने पंडितों के परिवार के साथ श्रावण-भादो दो महिने के लिए बुला रहे है!"
बापजी ! ढुढीया और समाजी दो ही एक वईने मांकी तो इज्जत-शान धूल में मिला देई ! मी कंइ वणारा बतंगडने झेल सकां!
बापजी ! किरपा करों! आपमें गजबकी तर्कशक्ति है, आपने ही तो हमारे श्रीस की लाज पहले भी इन दुढियों और समाजीयों के तूफान के समय रक्खी हैं, मी कठे जावां ? और तो मी लोगों की बात सुणे ही कृण ?"
आप तो मांरा मां-बाप सा हो! बच्चा भूको वे कि दुःखी वे तो मां-बापरे आगे नी रोवे तो कठे जाय ?" माहि
પૂજ્યશ્રી ભારે ગૂંચમાં પડયા, એક બાજુ પૂ૦ ગાધિપતિશ્રી પિતાને વડોદરા બાજુ જવા માટે કાલાહ-પરામર્શ માટે અમદાવાદ બોલાવે છે! પિતાને પણ બાર-બાર. વર્ષે પૂ. ગચ્છાધિપતિશ્રીની શીળી છાયા મળે તેવા સંયેગો કુદરતી રીતે ઉભા થયા છે–ને આ ઉદયપુરવાળાની વાત પણ વિચારવા જેવી ! શાસન પર આક્રમણ આવે ત્યારે શક્તિશાળીએ પૂરા સામર્થ્યથી રક્ષા માટે તૈયાર થવું જોઈએ. આદિ
છેવટે ઉદયપુરના શ્રીસંઘને અમદાવાદ | ગચ્છાધિપતિ પાસે જવા સૂચવ્યું કે –
" मेरी तो अक्कल काम नहीं करती हैं। दोनों ही बातें मेरे लिए महत्वकी हैं। अतः मै' तो अब पू० गच्छाधिपतिश्री की जो आज्ञा होंगी वह शिरोधार्य करने को तैयार हूँ, आप अमदावाद पधारे तो अच्छा ?
यपुरना श्रीस आयसिद्धिना उद्देश्यथा पूज्यश्रीन-हम जबाब लेकर न आवे तब तक आप यही बिराजना से निति ४२॥ ममहावा त२५ २वाना था.
અમદાવાદ જઈ પૂ. ગચ્છાધિપતિશ્રીને બધી વાત કરી, સાત ચોમાસામાં કેટલી ધર્મની જાહેજલાલી અને શાસનની પ્રભાવના થઈ તે વિગતવાર શ્રીસંઘના આગેવાનોએ
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