Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kcbatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandi
संतेगइया भवसिद्धिया जे जीवा ते एगेणं भवगहणेणं सिज्झिस्संति बुझिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंत करिस्संति १८ ११ ।दो दंडा पं०० - अहादंडे चेव अणहादंडे चेव, दुवे रासी पं० तंजहा जीवरासी चेव अजीवरासी चेव, दुविहे बन्धणे पं०० - रागबन्धणे चेव दोसबन्धणे चेव, पुव्वाफग्गुणीनक्खत्ते दुतारे पं०, उत्तराफग्गुणीनक्खत्ते दुतारे पं०, पुव्वाभहवयानक्खत्ते दुतारे पं० उत्तराभवयानक्खत्ते दुतारे ५०, इमीसे णं रयणप्पहाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं दो पलिओवाई ठिई ५०, दुच्चाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं दो सागरोवमाई ठिई पं० - असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं दो पलिओवमाई ठिई पं०, असुरकुमारिंदवज्जियाणं भोभिजाणं देवाणं उक्कोसेणं देसूणाई दो पलिओवमाई ठिई ५०, असंखिजवासाउयसनिपंचेंदियतिरिक्खजोणिआणं अत्थेगइयाणं दो पलिओवभाई ठिई पं०-असंखिजवासाउयसनि माणुस्साणं०, अत्गइयाणं देवाणं दो पलिओवभाई लिई पं०, सोहम्मे कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं दो पलिओवभाई ठिई पं०, ईसाणे कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं दो पलिओवमाई लिई पं०, सोहम्मे कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं उक्कोसेणं दो सागरोवमाई ठिई पं०, ईसाणे कथ्ये देवाणं उक्कोसेणं साहियाई दो सागरोवमाई ठिई। पं०, सणंकुमारे कप्पे देवाणं जहण्णेणं दो सागरोवमाई ठिई ५०, माहिंदे कथ्ये देवाणं जहणेणं साहियाई दो सागरोवमाई ठिई पं०, जे देवा सुभं सुभकंतं सुभवण्णं सुभगंधं सुभलेसं सुभफासं सोहम्भवडिंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसिं णं देवाणं उक्कोसेणं दो सागरोवमाई ठिई पं०, ते णं देवा दोण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा ४ तेसिं णं देवाणं दोहिं वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पजइ, | ॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्र ।
| पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113