Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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दसवाससहस्साई ठिई पं०,असुरिंदवजाणं भोमिज्जाणं देवाणं जहण्णेणंदस्वाससहस्साई ठिई ५०,असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं, दस पलिओवमाई ठिई ५०, बायरवणस्सइकाइयाणं उक्कोसेणं दस वाससहस्साई लिई ५०, वाणमंतराणं देवाणं जहण्णेणं दस वाससहस्साई ठिई ५०, सोहम्भीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं दस पलिओवभाई ठिई ५०, बंभलोए कप्ये देवाणं उक्कोसेणं दस सागरोवमाइं ठिई ५०,लांतए कप्पे देवाणं जहण्णेणंदससागरोवमाइं ठिई ६०,जे देवा धोसं सुधोसंमहाघोसंनंदिधोसं सुसरंमणोरम रम्मरम्मगं रमणि मंगलावतंबंभलोगवडिंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसिंणं देवाणं उकोसेणं दस सागरोवमाई ठिई पं०, ते णं देवा दसण्हं अद्धभासाणं आणमंति वा० तेसिं णं देवाणं दसहिं वाससहस्सेहिं आहारटे समुष्पज्जइ, संतेगइआ भवसिद्धिया जीवा जे दसहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति० । १० । एक्कारस उवासगपडिमाओ पं०० -दंसणसावए, क्यवयकम्मे, सामाइअकडे पोसहोववासनिरए, दिया बंभयारी रत्तिं परिमाणकडे, दिआऽविराओऽवि बंभयारी असिणा( अनिसा पा०)ई विअडभोई मोलिकडे, सचित्तपरिणाए, आरंभपरिण्णाए, पेसपरिण्णाए, उद्दिभत्तपरिणाए, समणभूए आवि भवइ समणाउसो... लोगंताओ इकारेहिं इकारसजोयणसएहिं अबाहाए जोइसंते पं०, जंबूदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स एक्कारसहिं एकवीसेहिं जोयणसएहिं जोइसे चारं चरइ, समणस्सणं भगवओ महावीरस्स एक्कारस गणहरा होत्था, तं०- इंदभूई अग्गिभूई वायुभूई विअत्ते सोहम्भे मंडिए मोरियपुत्ते अकंपिए । अयलभाया मेअज्जे पभासे, मूले नक्खत्ते एक्कारसतारे पं०, - हेट्ठिभगेविजयाणं देवाणं एक्कारसगुत्तरं गेविजविमाणसतं भवइत्तिमक्खायं ॥श्रीसमवायाङ्ग सूत्र ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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