Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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|| निसीहियं वा चेतेमाणे सबले एवं आउट्टिआए चित्तमंताए सिलाए कोलावासंसि वा दारुए ठाणं वा सिजं वा निसीहियं वा चेतेमाणे|| सबले जीवपइछिए सपाणे सबीए सहरिए सउत्तिङ्गपणगदगमट्टीमक्कडासंताणए तहप्पगारे ठाणं वा सिज वा निसीहियं वा चेतेमाणे सबले आउट्टिआए मूलभोअणं वा कंदभोअणं वा त्याभोयणं वा पवालभोयणं वा पुष्पभोयणं वा फलभोयणं वा हरियभोयणं वा भुंजमाणे सबले अंतो संवच्छरस्स दस दगलेवे कोमाणे सबले अंतो संवच्छरस्स दस माइठाणाई सेवमाणे सबले०४) अभिक्खणं २ सीतोदयवियडवग्धारियपाणिणा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिगाहित्ता भुंजमाणे सबले, णिअट्टिबादरस्स णं खवितसत्त्यस्स मोहणिजस्स कम्मरस एकवीसंम्भंसा संतकम्मा पं०० -अपच्चक्खाणकसाए कोहे अपच्चक्खाणकसाए माणे अपच्चक्खाणकसाया माया अपच्चक्खाणकसाए लोभे पच्चक्खाणावरणकसाए कोहे पच्चक्खाणावरणकसाए माणे पच्चक्खाणावरणकसाया माया पच्चक्खाणावरणकसाए लोभे संजलणे कोहे ४ इत्थिवेदे पुंवेदे णपुंवेदे हासे अरति रति भय सोग दुगुंछ।, एकमेकाए णं ओसप्पिणीए पंचमछट्ठाओ समाओ एकवीसं एकवीसं वाससहस्साई कालेणं पं०२० -दूसमा दूसमदूसमा एगभगाए णं उस्सप्पिणीए पढमबितिआओ समाओ एकवीसं एकवीसं वाससहस्साई कालेणं पं०२० -दूसमदूसमाए दूसमाए य, इभीसे गं स्यणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं एकवीसं पलिओवमाई ठिई ५०, छट्ठीए पुढवीए अत्गइयाणं नेह्याणं एकवीसंसागरोवमाई ठिई पं०, असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणंएगवीसपलिओवभाइंठिई ५०,सोहम्भीसाणेसुकप्पेसुअत्थेगइयाणं ॥श्रीसमवायाङ्ग सूत्रं ॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
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