Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 54
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करिस्संति । ३३चोत्तीसं बुद्धाइसेसा पं०, तं० -अवट्ठिए केसमंसुरोमनहे निरामया निरुलेवा गायलट्ठी गोक्खीरपंडुरे मंससोणिए पउमुप्पलगंधिए उस्सासनिस्सासे पच्छन्ने आहारनीहारे अदिस्से मंसचक्खुणा आगासगयं चक्कं आगासगयं छत्तं आगासगयाओ सेयवरचामराओ आगासफालिआमयं सपायपढं सीहासणं आगासगओ कुडभीसहस्सपरिमंडिआभिरामो इंदझओ पुरओ गच्छ३ १० जत्य जत्थवि यणं अहंता भगवन्तो चिटुंति वा निसीयंति वा तत्थ तत्थवि यणं तक्खणादेव संछत्रपतपुष्फपल्लवसमाउलो सच्छत्तो सझओ संघंटो सपडागो असोगवरपायवो अभिसंजायइ ईसिं पिटुओ मउडठाणमि तेयमंडलं अभिसंजायइ अंधकारेऽवि य णं दस दिसाओ पभासेइ बहुसमरमणिजे भूमिभागे अहोसिरा कंटया जायंति उऊविवरीया सुहफासा भवंति सीयलेणं सुहफासेणं सुरभिणा मारुएणंजोयणपरिमंडलंसव्वओ समंता संपमजिजइ जुत्तफुसिएणं मेहेण यनिहयरयरेणूयं किज्जइ जलथलयभासुरपभूतेणं बिंटवाइया दसद्धवष्णेणं कुसुमेणं जाणुस्सेहप्पमाणमित्ते पुष्फोक्यारे किज्जइ अमणुण्णाणं सद्दफरिसरसरुवगंधाणं अवकरिसो भवइ मणुण्णाणं सद्दफरिसरसरुवगंधाणं पाउब्भावो भवइ २० पच्चाहरओऽवियणं हिययगमणीओ जोयणनीहारी सरो भगवंचणं अद्धभागहीएभासाए धम्ममाइक्खइ साऽवियणं अद्धमागही भासा भासिज्जमाणी तेसिं सव्वेसिंआरियमणारियाणं दुष्पयचउप्पअमियपसुपक्खिसरीसिवाणं अपणो हियसिवसुहयभासत्ताए परिणभइ पुव्वबद्धवेरावि य णं देवासुरनागसुवण्णजक्खरक्खसकिनकिंपुरिसगरुलगंधव्वमहोरगा अहओ पायमूले पसंतचित्तमाणसा धम्म निसामंति अण्णउत्थ्यिपावयणियावियणमागया वंदंति आगया समाणा अरहओ पायभूले | ॥श्रीसमवायाङ्ग सूत्र। | पू. सागरजी म. संशोधित | For Private And Personal Use Only

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