Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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| विजए होत्था, सव्वेसिं णं वट्टवेयड्ढपव्वयाणं उवरिलाओ सिहरतलाओ सोगंधियकण्डस्स हेडिल्ले चरमंते एस णं नउइजोयणसयाई
अबाहाए अंतरे पं०, १९० । एक्काणई परवेयावच्चकम्मपडिमाओ पं०, कालोए णं समुद्दे एक्काणउई जोयणसयसहस्साइं साहियाई परिक्खेवेणं पं०, कुंथुस्सणं अहओ एक्काणउई आहोहियसया होत्था, आउयगोयवजाणं छण्हं कम्मपगडीणं एकाणई उत्तरपगडीओ पं० । ९१ । बाणउई पडिमाओ पं०, थेरे णं इंदभूती बाणउइवासाई सव्वाउयं पालइत्ता सिद्ध बुद्धे०, मंदरस्स णं पव्वयस्स बहुमझदेसभागाओ गोथूभस्स आवासपव्वयस्स पच्चच्छिमिल्ले चरमते एस णं बाणई जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पं०, एवं चउण्हंपि आवासपव्वयाणं । ९२ । चंदप्यहस्स णं अरहओ तेणउई गणा तेणउई गणहरा होत्था, संतिस्स णं अरहओ तेणई चउद्दसपुव्विसया होत्था, तेणउईमंडलगते णं सुरिए अतिवट्टमाणे वा निवट्टमाणे वा समं अहोरत्तं विसभं करेइ १९३ ।निसहनीलवंतियाओ णं जीवाओ चउणउई जोयणसहस्साई एवं छप्पन जोयणसयं दोनि य एगूणवीसइभागे जोयणस्स आयामेणं पं०, अजियस्सणं अरहओ चउणउई ओहिनाणिसया होत्था । ९४ । सुपासस्स णं अरहओ पंचाणउई गणा पंचाणउई गणहरा होत्था, जम्बुद्दीवस्स णं दीवस्स चरमंताओ चउद्दिसिं लवणसमुहं पंचाई पंचाणउई जोयणसहस्साई ओगाहित्ता चत्तारि महापायालकलसा पं०२०- वलयामहे के ऊए जूयए ईसरे, लवणसमुद्दस्स अभओपासंपि पंचाणऽयं पंचाणउयं पदेसाओ उव्वेहुस्सेहपरिहाणीए पं०, कुंथुणं अरहा पंचाणउई वाससहस्साई परमाउयंपालइत्ता सिद्ध बुद्धे जावपहीणे, थेरेणंमोरियपुत्ते पंचाणउइवासाइंसव्वाउयंपालइत्ता सिद्धे बुद्धे जावप्पहीणे | ॥श्रीसमवायाङ्ग सूत्र ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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