Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 77
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ||सवेऽविणंवट्टवेयड्ढपव्वया दस दस जोयणसयाई उड्ढउच्चत्तेणं दस दस गाउयसयाई उव्वेहेणं मूले दस दस जोयणसयाई विक्खंभेणं|| ठाणसंठिया पं०,सव्वेऽविणं हरिहरिस्सहकडा वक्खारकुडवज्जा दस दस जोयणसयाई उड्ढंउच्चत्तेणं मूले दस जोयणसयाई विक्खंभेणं, एवं बलकूडावि नंदणकूडज्जा, अरहाणं अरिट्ठनेभी दस वाससयाई सव्वाउयं पालइत्ता सिद्ध बुद्धे जाव सव्वदुक्खप्पहीणे, पासस्स णं अहओ० दस सयाई जिणाणं होत्था, पासस्स णं अहओ० दस अंतेवासीसयाई कालगयाई जाव सव्वदुक्खप्पहीणाई, उमद्दहपुंडरीयहहा य दस दस जोयणसयाई आयामेणं पं०१११३ ।अणुत्तरोववाइयाणं देवाणं विमाणा एक्कारस जोयणसयाई उड्ढंउच्चत्तेणं पं०, पासस्स णं अहओ० इकारस सयाई वेउब्बियाणं० होत्था । ११४ । महापउममहापुंडरीयदहाणं दो दो जीयणसहस्साई आयामेणं पं०।११५ । इभीसे णं रयणप्यभाए पुढवीए वइरकंडस्स उवरिल्लाओ चमंताओ लोहियक्खकंडस्स हेछिल्ले चमते एस णं तिन्नि जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पं०।११६ । तिगिच्छकेसरिदहाणं चत्तारि चत्तारि जोयणसहस्साई आयामेणं पं०।११७ धरणितले मंदरस्सणं पव्वयस्स बहुमज्झदेसभाए रुयगनाभीओ चउदिसिं पञ्च २ जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे मंदरपव्वए पं०।११८ ।सहस्सारे णं कप्पे छ विमाणावाससहस्सा पं० १११९ ।इभीसे णं रयणप्यभाए पुढवीए रयणस्स कंडस्स उवरिल्लाओ चरमंताओ पुलगस्स कंडस्स हेछिल्ले चरमंते एस णं सत्त जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पं० । १२० । हरिवासरम्मयाणं वासा अट्ठ जोयणसहस्साई साइरेगाई वित्थरेणं पं० । १२१ । दाहिणड्ढभरहस्सणं जीवा पाईणपडीणायया दुहओ समुदं पुट्ठा नव || ॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्र ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113