Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 82
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विआहिज्जइ, वियाहेणंनाणाविहसुरनरिंदरायरिसिविविहसंसइअपुच्छियाणं जिणेणं वित्थरेण भासियाणंदव्वगुणवेत्तकालपजवपदेस-|| परिणामजहट्ठियभावअणुगमनिक्खेवणयप्पमाणसुनिउणोवक्कम विविहप्पकारपगडपयासियाणं लोगालोगफ्यासियाणं संसारसमुद्दरुंदउत्तरणसमत्थाणं सुरवइसंपूजियाणं भवियजणपयहिययाभिनंदियाणं तमरयविद्धंसणाणं सुदिदीवभूयईहामतिबुद्धिवद्धणाणं छत्तीससहस्समणुणयाणं वागरणाणं दंसणाओ सुयत्थबहुविहप्पगारासीसहियत्था य गुणम(गुण हत्थ, वियाहस्सणं परित्ता वायणा संखेजा अणुओगदारा संखेजाओ पडिवत्तीओ संखेजा वेढा संखेजा सिलोगा संखेजाओ निजुत्ती( संगहणी ओ, से णं अंगठयाए पञ्चमे अंगे एगे सुयक्खंधे एगे साइरेगे अज्झयणसते दस उद्देसगसहस्साई दस समुद्देसगसहस्साई छत्तीसं वागरणसहस्साई चउरासीई पयसहस्साई पयग्गेणं पं०, संखेजाई अक्खराई अणंता गमा अणंता पज्जवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासया कडा णिबद्धा णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आधविनंति पण्णविनंति परूविजति निदंसिजति उवदंसिजति, से एवं आया से एवं विण्णाया एवं चरणकरणपरूवणया आघविजंति०, सेत्तं वियाहे । १४० से किं तं णायाधम्मकहाओ ?, णायाधम्मकहासु णं णायाणं णगराई उजाणाई चेइआई वणखंडारायाणो अम्मापियरो समोसरणाई धम्मायरिया धम्मकहाओ इहलोइयपरलोइअइड्ढीविसेसा १० भोगपरिच्चाया पव्वज्जाओ सुयपरिम्गहा तवोवहाणाई परियागा संलेहणाओ भत्तपच्चक्खाणाई पाओवगमणाई देव लोगगमणाई सुकुलपच्चायायाइं पुणबोहिलाभा अंतकिरियाओ २२ य आधविनंति जाव नायाधम्मकहासुण पव्वइयाणं (समणाणं पा०) ॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्रं ॥ ७१ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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