Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 104
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org | चेइयरुक्खा होत्या, नं० -णग्गोह सत्तिवण्णे साले पियए पियंगु छत्ताहे । सिरिसे य णागरुक्खे माली य पिलंखुरुक्खे य ॥ १०८ ॥ तिंदुग पाडल जंबू आसत्ये खलु तहेव दहिवण्णे ! णंदीरुक्खे तिलए अंबयरुक्खे असोगे य ॥ १०९ ॥ चंपय बग्ले य तहा वेडसरुक्खे य धायईरुक्खें। साले य वड्ढमाणस्स चेइयरुक्खा जिणवराणं ॥ ११० ॥ बत्तीसं धणुयाई चेइयरुक्खो य वर्द्धमाणस्स । णिच्चोउगो असोगो ओच्छण्णो सालरुक्खेणं ॥ १११ ॥ तिण्णेव गाउआई चेइयरुक्खो जिणस्स उसभस्स ! सेसाणं पुण रुक्खा सरीरओ बारसगुणा उ ॥ ११२ ॥ सच्छत्ता सपडागा सवेइया तोरणेहिं उववेया । सुरअसुरगरु लमहिया चेइयरुक्खा जिणवराणं ॥ ११३ ॥ एएसिं चउवीसाए तित्थगराणं चउवीसं पढमसीसा होत्या, तं० - पढमेत्थ उसभसेणे बिइए पुण होइ सीहसेणे य । चारू य वज्रणाभे चमरे तह सुव्वय विदम्भे ॥ ११४ ॥ दिण्णे य वराहे पुण आणंदे गोथुभे सुहम्मे य । मंदर जसे अरिट्टे चक्काह सयंभु कुंभे य । इंदे कुंभे य सुभे वरदत्ते दिण्ण इंदभूई य ॥ ११५ ॥ उदितोदितकुलवंसा विसुद्धवंसा गुणेहिं उववेया । तित्थष्पवत्तयाणं पढमा सिस्सा जिणवराणं ॥ ११६ ॥ एएसिं णं चउवीसाए तित्थगराणं चउवीसं पढमसिस्सिणी होत्या, तं० - बंभी य फग्गु सामा अजिया कासवी रई सोमा । सुमणा वारुणि सुल(ज)सा धारणि धरणी य धरणिधरा ॥ ११७ ॥ पउम सिवा सुयी (हा) तह अंजुया (दामणी) भावियप्पा य रक्खी य । बंधुमती पुण्फवती अज्जा अभि(तिला य आहिया ॥ ११८ ॥ जक्खिणी पुष्पचूला य चंदणज्ज्जा य आहिया ॥ उदितोदियकुलवंसा विसुद्धवंसा गुणेहिं उववेया । तित्थष्पवत्तगाणं पढमा सिस्सी जिणवराणं ॥ ११९ ॥ १५७ ॥ जंबुद्दीवे णं भारहे ॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित ९३ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only

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