Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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| जियरागमग्गिसेणं वंदे खीणरायमग्गिउत्तं च । वोक्कसियपिज्जदोसं वारिसेणं गयं सिद्धिं ॥ १४५ ॥ जंबुद्दीवे. आगमिस्साए उस्सप्पिणीए | | भारहे वासे सत्त कुलगरा भविस्संति, तं० - भियवाहणे सुभूमे य, सुष्पभे य सयंपभे । दत्ते सुहमे सुबन्धू य, आगमिस्साण होक्खति | ॥ १४६ ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए एरवए वासे दस कुलगरा भविस्संति, तं० - विमलवाहणे सीमंकरे सीमंधरे खेमंकरे खेमंधरे दढधणू दसघणू सयधणू पडिसूई सुमइत्ति । जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए चवीसं तित्थगरा भविस्संति, तं० - महापउमे सूरदेवे, सुपासे य सयंपभे । सव्वाणुभूई अरहा, देवस्सुए य होक्खई ॥ १४७ ॥ उदए पेढालपुत्ते य, पोट्टिले सत्तकित्ति य । मुणिसुव्वए य अरहा, सव्वभावविऊ जिणे ॥ १४८ ॥ अममे णिक्कसाए य, निष्पुलाए य निम्ममे । चित्तउत्ते समाही य, आगमिस्सेण होक्खई ॥ १४९ ॥ संवरे अणियट्टी य, विजए विमलेति य । देवोववाए अरहा, अणंतविजए इय ॥ १५० ॥ एए वृत्ता चउव्वीसं भर हे वासम्मि केवली । आगमिस्सेण होक्खंति, धम्मतित्थस्स देसगा ॥ १५१ ॥ एएसिं णं चउव्वीसाए तित्थकराणं पुव्वभविया चउव्वीसं नामधेज्जा भविस्संति, तं० सेणिय सुपास उदए पोट्टिल्ले अणगार तह दढाऊ य। कत्तिय संखे य तहा नंद सुनंदे य सत्तई य ॥ १५२ ॥ बोद्धव्वा देवई य सच्चइ तह वासुदेव बलदेवे । रोहिणि सुलसा चेव तत्तो खलु रेवई चेव ॥ १५३ ॥ तत्तो हवइ सयाली बोद्धव्वे खलु तहा भयाली य । दीवायणे य कण्हे तत्तो खलु नारए चेव ॥ १५४ ॥ अंबड दारूमडे या साई बुद्धे य होइ बोद्धव्वे । भावी तित्थगराणं णामाई पुव्वभवियाई ॥ १५५ ॥ एएसिं णं चउव्वीसाए तित्थगराणं चउव्वीसं पियरो भविस्संति चउव्वीसं
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॥ श्री समवायाङ्ग सूत्रं ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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