Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 91
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | तीसं वत्थू पं०, लोगबिंदुसारस्सणं पुव्वस्स पणवीसं वत्थू पं०, -दस चोद्दस अट्ठारसेव बारस दुवे य वत्थूणि । सोलस तीसा वीसा पत्ररस अणुप्पवायंमि ॥६३ ॥बारस एक्कारसमे बारसमे तेरसेव वत्थूणि । तीसा पुण तेरसमे चउदसमे पन्नवीसा 3 ॥६४ ॥ चत्तारि दुवालस अट्ठ चेव दस चेव चूलवत्थूणि । आतिल्लाण चउण्हं सेसाणं चूलिया णत्थि ॥६५ ॥ सेत्तं पुवायं, से किं तं अणुओगे ?, अणुओगे दुविहे पं०, तं० -मूलपढमाणुओगे य गंडियाणुओगे य, से किं तं मूलपढमाणुओगे ?, एत्थं णं अहंताणं भगवंताणं पुवभवा देवलोगगमणाणि आउंचवणाणि जम्मणाणि अअभिसेया रायवरसिरीओ सीयाओपबजाओ तवाय भत्ता केवलणाणुप्पाया अतित्थपवत्तणाणि असंध्यणं संठाणं उच्चत्तं आउं वनविभागो सीसा गा गणहरा य अजा पवत्तणीओ संघस्स चव्विहस्स जं वावि परिमाणं जिणमणपज्जवओहिनाणसम्मत्तसुयनाणिणो य वाई अणुत्तरगई, यजत्तिया सिद्धा पाओवगआय जे जहिं जत्तियाई भत्ताई छेअइत्ता अंतगडा मुणिवरुत्तमा तमरओधविष्यमुक्का सिद्धिपहमणुत्तरं च पत्ता, एए अन्ने य एवमाइया भावा मूलपढमाणुओगे कहिआ आपविजंति पण्णविनंति परू०, सेत्तं मूलपढमाणुओगे, से किं तं गंडियाणुओगे?, २ अणेगविहे पं०, तं० -कुलगरगंडियाओ तित्थगरगंडियाओ गणहरगंडियाओ चक्कहरगंडियाओ दसारगंडियाओ बलदेवगंडियाओ वासुदेवगंडियाओ हरिवंसगंडियाओ भद्दबाहुगंडियाओ तवोकभ्मगंडियाओ चित्तंतरगंडियाओ उस्सप्पिणीगंडियाओ ओसप्पिणीगंडियाओ अभरनरतिरियनिस्यगइगमणविविहपरियट्टणाणुओगे, एवमाइयाओ गंडियाओ आधविजंति पण्णविनंति परूविजंति, सेत्तं गंडियाणुओगे, से किं तं चूलियाओ?, २ ॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्र | पू. सागरजी म. संशोधित || For Private And Personal Use Only

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