Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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दस वाससहस्साई अंतोमुत्तूणाई उकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई अंतोमुत्तूाई, इमीसे ण रयणप्यभाए पुढवीए एवं जाव|| विजयवेजयंतजयंतअपराजियाणं देवाणं केवइयं कालं ठिई पं०?, गोयमा ! जहन्त्रेणं बत्तीसंसागरोवमाई उक्कोसेणं तेत्तीसंसागरोवमाई, सवढे अजहण्णमणुक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिई पं०।१५१ । कति णं भंते ! सरीरा पं०?, गोयमा ! पंच सरीरा पं०० - ओरालिए वेउदिए आहारए तेयए कम्मए, ओरालियसरीरेणं भंते ! कइविहे पं०?, गोयमा पंचविहे पं००-एगिंदियओरालियसरीरे जाव गब्भववंतियमणुस्सपंचिंदियओरालियसरीरे य, ओरालियसरीरस्सणं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पं०?, गोयमा ! जहन्त्रेणं अंगुलअसंखेजतिभागं उक्कोसेणंसाइरेगंजोयणसहस्सं, एवं जहाओगाहणसंठाणे ओरालियपमाणंतहानिरवसेसं, एवं जावमणुस्सेत्ति उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाई,कइविहे गंभंते ! वेव्वियसरीरे पं०,?, गोयमा ! दुविहे पं०२०-एगिदियवेउब्वियसरीरे यपंचिंदियवेउब्वियसरीरे अ, एवं जाव सणंकुमारे आढत्तं जाव अणुत्तराणं भवधारणिज्जा जाव तेसिं रयणी रयणी परिहायइ, आहारयसरीरे णं भंते ! कइविहे | पं०?, गोयमा! एगाकारे पं०, जइ एगाकारे पं० किं मणुस्सआहारयसरीरे अमणुस्सआहारयसरीरे ?, गोयमा ! मणुस्सआहारगसरीरे णो अभणुस्सआहारगसरीरे, एवं जइ मणुस्सआहारगसरीरे किं गब्भवईतियमणुस्सआहारगसरीरे समुच्छिममणुस्सआहारगसरीरे ?, गोयमा! गब्भवक्कंतियमणुस्सआहारयसरीरे नो समुच्छिममणुस्सआहारयसरीरे, जइ गब्भवकंतिय० किं कम्मभूमिग० अकस्मभूमिग०?, गोयमा! कम्मभूमिग० नो अकम्मभूमिग०, जइ कम्मभूमिग० किं संखेजवासाउय०, असंखेजवासाउय०?, गोयमा ! संखेजवासाउय० ॥श्रीसमवायाङ्ग सूत्रं ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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