Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 94
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandie चोअढारस सोलसगं अठुत्तरमेव बाहलं ॥६६॥तीसाय पण्णवीसा पत्ररस दसेवसयसहस्साईतिण्णेगं पंचूर्ण पंचेव अणुत्तरा नरगा ॥६७ ॥ चउसट्ठी असुराणं चउरासीई च होइ नागाणं । बावत्तरि सुवत्राण वाउकुमाराण छण्णउई ॥६८ ॥ दीवदिसाउदहीणं विजकुमारिंदणियमांगीणं छहंपि जुवलयाणं छावत्तरिमोयसयसहसा ॥६९ ॥बत्तीसऽट्ठावीसा बारस अड चउरो यसयसहस्सा। पण्णा चत्तालीसा छच्च सहस्सा सहस्सारे ॥ ७० ॥ आणयपाणयकप्पे चत्तारि सयाऽऽरणच्चुए तिनि । सत्त विमाणसयाई चउसुवि|| एएसु कप्पेसु ॥७१ ॥ एक्कारसुत्तरं हेछिमेसु सत्तुत्तरं च मझिमए । सयमेगं उवरिमए पंचेव अणुत्तरविमाणा ॥ ७२ ॥ दोच्चाए णं पुढवीए तच्चाए णं पुढवीए चउत्थीए पुढवीए पंचमीए पुढवीए छट्ठीए पुढवीए सत्तमीए पुढवीए गाहाहिं भाणियव्वा, सत्तमाए पुढवीए पुच्छा, गोयमा! सत्तमाए पुढवीए अद्भुत्तरजोयणसयसहस्साई बाहल्लाए उवरि अद्धतेवनं जोयणसहस्साई ओगाहेत्ता हेटावि अद्धतेवत्रं जोयणसहस्साई वज्जित्ता मझे तिसु जोयणसहस्सेसु एत्थ णं सत्तमाए पुढवीए नेरइयाणं पंच अणुत्तरा महइमहालया महानिरया पं० तं० - काले महाकाले रोरुए महारोरुए अप्पइट्ठाणे नामं पंचमे, ते णं निरया वट्टा य तंसा य अहे खुरपसंठाणसंठिया जाव असुभा नरगा असुभाओ नरएसु वेयणाओ० । १४९ । केवइया णं भंते ! असुरकुमारावासा पं० ? गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तरजोयणसयसहस्सबाहल्लाए उवरि एगंजोयणसहस्सं ओगाहेत्ता हेढा चेगंजोयणसहस्सं वजित्तामझे अट्ठहत्तरिजोयणसयसहस्से एत्यु णं श्याप्यभाए पुढवीए चउसद्धिं असुरकुमारावाससयसहस्सा पं०, ते णं भवा बाहिं वट्टा अंतो चरंसा अहे ॥श्रीसमवायाङ्ग सूत्र ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113