Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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जाव चरणकरणपरूवणया आधविजति०,सेत्तं णायाधम्मकहाओ।१४१ से किं तं उवासगदसाओ? उवासगदसासुणंउवासयाणं|| णगराई उजाणाइं चेइआई वणखंडा रायाणो अम्मापियरो समोसरणाई धम्मायरिया धमकहाओ इहलोइयपरलोइयइड्ढिविसेसा उवासयाणं सीलव्वयवेरमणगुणपच्चक्खाणपोसहो ववासपडिवजणयाओ सुयपरिग्गहा तवोवहाणा पडिमाओ उवसग्गा संलेहणाओ भत्तपच्चक्खाणाई पाओवगमणाई देवलोगगमणाई सुकुलपच्चायाया पुणो बोहिलाभा अंतकिरियाओ आधविनंति, उवासगदसासु णं उवासयाणं रिद्धिविसेसा परिसा वित्थरधम्मसवणाणि बोहिलाभअभिगमसम्मत्तविसुद्धया थिरत्तं मूलगुणउत्तरगुणाइयारा ठिइविसेसा य बहु विसेसा पडिमाभिग्गहगहणपालणा उत्सग्गाहियासणा णिरूवसग्गा य तवा य विचित्ता सीलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खाण||पोसहोववासा अपच्छिममारणंतियसलेहणा झोसणाहिं अप्पाणं जह भावइत्ता बहूणि भत्ताणि अणसणाए य छेअइत्ता उवण्णा कप्पवरवि माणुत्तमेसु जह अणुभवंति सुरवरविमाणवरपोंडरीएसु सोक्खाई अणोवमाई कमेण भुत्तूण उत्तमाई तओ आउक्खएणं चुया समाणा जह जिणमयभिम बोहिं लक्ष्ण य संजमुत्तमं तमश्योपविष्यमुक्का उति जह अक्ख्यं सव्वदुक्खमोक्खं, एते अन्ने य एवमाइअत्था वित्थरेण य०, उवासयदसासु णं परित्ता वायणा संखेजा अणुओगदारा जाव संखेजाओ संगहणीओ, से णं अंगठ्ठयाए सत्तमे अंगे एगे सुयक्खंधे दस अझयणा दस उद्देसणकाला दस समुद्देसणकाला संखेजाई पयसयसहस्साई पयग्गेणं पं०, संखेजाई अक्खाईजाव एवं चरणकरणपरूवणया आधविनंति०, सेत्तं उवासगदसाओ।१४२से किं तं अंतगडदसाओ? अंतगडदसासुणं ॥ ॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्रं ॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
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