Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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अंतगडाणं णगराई उजाणाई चेइयाणं वाई राया अम्मापियरो सभोसरणा धम्मायरिया धमकहा इहलोइयपरलोइअइड्ढिविसेसा भोगपरिच्चाया पव्वजाओ सुयपरिग्गहा तवोवहाणाइं पडिमाओ बहुविहाओ खमा अज्जवं महवं च सोअंच सच्चसहियं सत्तरसविहो य संजमो उत्तमं च बं आकिंचणया तवो चियाओ समिइगुत्तीओ चेव तह अप्पमायजोगो सझायझाणेण य उत्तमाणं दोण्हंपि लक्खणाई पत्ताण य संजमुत्तमं जियपरीसहाणं चउव्विहकमक्खयम्मि जह केवलस्स लंभो परियाओ जत्तिओ य जह पालिओ मुणीहिं पायोवगओ यजो जहिं जत्तियाणि भत्ताणि छेअइत्ता अंतगडो मुनिवरो तमस्योपविष्यमुक्को मोक्खसुहमणंतरं च पत्ता एए अन्ने| य एवमाइअत्था वित्थारेणं परूविजंति, अंतगडदसासु णं परित्ता वाया संखेजा अणुओगदारा जावसंखेजाओ संगहणीओ जाव सेणं अंगठ्ठयाए अट्ठमे अंगे एगे सुयक्खंधे दस अज्झ्यणा सत्ता वग्गा दस उद्देसणकाला दससमुद्देसणकाला संखेजाइं पयसयसहस्साई पयागेणं पं०, संखेज्जा अक्खरा जाव एवं चरणकरणपरूवणया आघविजति०, सेत्तं अंतगडदसाओ । १४३ । से किं तं अणुत्तरोववाइयदसाओ ?, अणुत्तरोववाइयदसासु णं अणुत्तरोववाइयाणं नगराई उजाणाई चेइयाई वणखंडा रायाणो अम्मापियरो समोसरणाई धम्मायरिया धमकहाओ इहलोगपरलोगइदिविसेसा भोगपरिच्चाया पव्वजाओ सुयपरिग्गहा तवोवहाणाई परियागो पडिमाओ संलेहणाओ भत्तपाणपच्चक्खाणाई पाओवगमणाई अत्तरोववाओ सकलपच्चायाया पुणो बोहिलाभो । आधविनंति, अणुत्तरोववाइयदसासुणं तित्थकरसभोसरणाइं परममंगलजगहियाणि जिणातिसेसा य बहविसेसा जिणसीसाणं चेव ॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्रं ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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