Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 78
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जोयणसहस्साई आयामेणं पं०११२२ मंदरे णं पव्वए धरणितले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं पं० ११२३ । जंबूदीवेणं दीवे एगं|| जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं पं० ११२४ ।लवणे णं समुद्दे दो जोयणसयसहस्साइं चक्कवालविक्खंभेणं पं० ११२५ । पासस्स णं अहओ तित्रि सयसाहस्सीओ सत्तावीसं च सहस्साई उक्कोसिया सावियासंपया होत्था । १२६ । थायइखंडे णं दीवे चत्तारि जोयणसयसहस्साई चक्कवालविक्खंभेणं पं०११२७ लवणस्सणं समुद्दस्स पुरिच्छभिल्लाओ चरमंताओ पच्चच्छिमिल्ले चरमते एसणं पंच जोयणसयसहस्साई अबाहाए अंतरे पं०।१२८ । भरहे णं राया चाउरंतचक्कवट्टी छ पुव्वसयसहस्साई रायमझे वसित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए १२९ जम्बूदीवस्सणंदीवस्स पुरच्छिमिल्लाओवेड्यंताओधायइखंडचक्कवालस्सपच्चच्छिमिले चरमंते सत्त जोयणसयसहस्साई अबाहाए अंतरे पं० ११३० ।माहिंदे णं कप्पे अट्ठ विमाणावाससथसहस्साई ६०।१३१ । अजियस्स णं अहओ साइरेगाई नव ओहिनाणिसहस्साई होत्था । १३२ । पुरिससीहे णं वासुदेवे दस वाससयसहस्साई सव्वाउयं पालइत्ता पञ्चमाए पुढवीए नेरइएसु नेरइयत्ताए उववन्ने । १३३। समणे भगवं महावीरे तित्थगरभवगहाओ छटे पोट्टिलभवगहणे एग वासकोडिं सामन्नपरियागं पाउणित्ता सहस्सारे कप्पे सव्वट्ठविमाणे देवत्ताए उववन्ने ।१३४ । उसभसिरिस्सणं भगवओ चरिमस्सय महावीरवद्धमाणस्स एगा सागरोवमकोडाकोडी अबाहाए अंतरे पं०। १३५। दुवालसंगे गणिपिडगे पं००-आयारे सूयगडे ठाणे समवाए विवाहपन्नत्तीणायाधम्मकहाओ उवासगदसाओ अंतगडदसाओ अणुत्तरोववाइयदसाओ पाहावागरणाई विवागसुए दिट्ठिवाए। ॥श्रीसमवायाङ्ग सूत्र ॥ पू. सागरजी म. संशोधित | For Private And Personal Use Only

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