Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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||से किं तं आयारे ? आयारे णं समणाणं निग्गंथाणं आयार गोयर विणयवेणइयद्वाणगमणचंकम णपमाणजोगजुंजणभासासमितिगुत्तीसेज्जीवहि भत्तपाणउग्गमउप्पायणएसणा विसोहि सुद्धा सुद्धग्गहणवयणियमतवोवहाणसुम्पत्यमा हिज्जइ, से समासओ पञ्चविहे पं० नं०णाणायारे दंसणायारे चरितायारे तवायारे विरियायारे, आयारस्स णं परित्ता वायणा संखेज्जा अणुओगदारा संखेज्जाओ पडिवत्तीओ संखेज्जा वेढा संखेजा सिलोगा संखेज्जाओ निज्जुत्तीओ, से गं अंगठ्ठयाए पढमे अंगे दो सुयक्खंधा पणवीसं अज्झयणा पंचासीई | उद्देसणकाला पंचासीई समुद्देसणकाला अट्ठारस पदसहस्साइं पदग्गेणं संखेज्जा अक्खरा अनंता गमा अनंता पज्जवा परित्ता तसा | अनंता थावरा सासया कडा निबद्धा णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जंति पण्णविनंति परूविज्जंति दंसिजंति निदंसिज्जंति उवदंसिज्जंति, से एवं णाया एवं विण्णाया एवं चरणकरणपरूवणया आघविज्जंति पण्णविज्जंति परुविज्जंति दंसिज्जंति निदंसिज्जंति उवदंसिज्जंति, सेत्तं आयारे । १३६ । से किं तं सूअगडे ? सूअगडे णं ससमया सूइज्जंति पर समया सूइज्जंति ससमयपर समया सूड़ज्जंति जीवा सूइज्जति अजीवा सूइज्जंति जीवाजीवा सूइज्जंति लोगो सूइज्जंति अलोगो सूइज्जंति लोगालोगा सूइज्जंति, सूअगडे णं जीवाजीवपुण्णपावासवसंवरनिज्जरणबंधमोक्खावसाणा पयत्था सूइज्जंति, समणाणं अचिरकालपव्वइयाणं कुसमयमोह मइमोहियाणं संदेहजायसहजबुद्धिपरिणामसंसइयाणं पावकरमलिनमइगुणविसोहणत्थं असीअस्स किरियावाइयसयस्स चउरासीए अकिरियवाईणं सत्तठ्ठीए अण्णाणियवाईणं बत्तीसाए वेणइयवाईणं तिण्हं तेवद्वीणं अण्णदिट्ठियसयाणं वूहं किच्चा ससमए ठाविज्जति
॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्रं ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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