Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 63
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वासुपुज्जस्स णं अरहओ बासद्धिं गणा बासष्टुिं गणहरा होत्था, सुक्कपक्खस्स णं चंदे बासष्टुिं भागे दिवसे दिवसे परिवड्ढइ. ते चे|| बहुलपक्खे दिवसे दिवसे परिहायइ, सोहम्भीसाणेसु कप्पेसु पढमे पत्थडे पढमावलियाए एगमेगाए दिसाए बासढि विमाणा पं०, सव्वे वेमाणियाणं बासढि विमाणपत्थडा पत्थडग्गेणं पं० १६२ । उस णं अरहा कोसलिए तेसद्धिं पुव्वसयसहस्साई महारायमझे वसित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए, हरिवासरम्मयवासेसु मणुस्सा तेवट्ठीए राइंदिएहिं संपत्तजोव्वणा भवंति० निसढे णं पव्वए तेवष्टुिं सूरोदया पं०, एवं नीलवंतेऽवि।६३ । अट्ठट्ठमिया णं भिक्खुपडिमा चउसट्ठीए राइंदिएहिं दोहि य अट्ठासीएहिं भिक्खासएहिं अहासुत्तं जाव भवइ, चउसटिं असुरकुमारावाससयसहस्सा पं०, चमरस्स णं रन्नो चउसद्धिं सामाणियसाहस्सीओ पं०, सव्वेऽविणं दधिमुहा पव्वया पल्लगसंठाणसंठिया सव्वत्थ समा विक्खंभेणं (विक्खंभुस्सेहेणं पा० ) चउसद्धिं जोयणसहस्साई ५०, सोहम्मीसाणेसु बंभलोए य तिसु प्येसु चउसद्धिं विमाणावाससयसहस्सा पं०, सव्वस्सवि य णं रत्रो चाउरन्तचक्रवट्टिस्स चउसट्ठिलट्ठीए महग्घे मुत्तामणिहारे पं० १६४ । जम्बुद्दीवेणं दीवे पणसद्धिं सूरमंडला पं० थेरे णं मोरियपुत्ते पणसहिवासाई अगारमझे वसित्ता मुंडे भवित्ता आगाराओ अणगारियं पव्वइए, सोहम्मवडिंसयस्स णं विमाणस्स एगमेगाए बाहाए पणसहिँ पणसढि भोमा पं० । ६५ । दाहिणड्ढमाणुस्सखेत्ता णं छावहिं चंदा पभासिसुवा ३ छावटुिं सूरिया तविंसुवा ३, उत्तरड्ढमाणुस्सखेत्ताणं छावडिं चंदा पभासिंसु वा ३ छावष्टुिं सूरिया तविंसु वा ३, सेजंसस्स णं अहओ छावढि गणा छावढि गणहरा होत्था, आभिणिबोहियनाणसणं उनोसेणं | ॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्र ॥ | पू. सासजी म. संशोचित || For Private And Personal Use Only

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