Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 61
________________ She Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandie www.kobatirth.org | आयामेणं पं०, समणस्स णं भगवओ महावीरस्स तेवनं अणगारा संवच्छरपरियाया पंचसु अणुत्तरेसु महइमहालएसु महाविमाणेसु|| देवत्ताए उववन्ना, संमुच्छिम्रपरिसप्पाणं उक्कोसेणं तेवनं वाससहस्सा लिई पं०१५३ । भरहेरवएसुणं वासेसु एगमेगाए उस्सप्पिणीए ओसप्पणीए यचउवनं २ उत्तमपुरिसा उपजिसु वा ३,०-चवीसं तित्थगरा बारस चक्कवट्टी नव बलदेवा नव वासुदेवा, अरहा णं अरिहनेभी चउवनं राइंदियाई छउमत्थपरियायं पाउणित्ता जिणे जाए केवली सव्वन्नू सव्वभावदरिसी, समणे भगवं महावीरे एगदिवसेणं एगनिसिजाए चउप्पन्नाई वागरणाइं वागरित्था, अणंतस्स णं अरहओ चउपन्नं गणहरा होत्था ।५४ । मल्लिस्स णं अरहओ पणपन्न वाससहस्साई परमाउंपालइत्ता सिद्ध बुद्धे जावप्पहीणे, मंदरस्सणं पव्वयस्स पच्चत्छिमिल्लाओ चरमंताओ विजयदारस्स पच्चच्छिमिल्ले चमते एस णं पणपन्नं जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पं०, एवं चउद्दिसिपि वेजयंतजयंतअपराजियंति, समणे भगवं महावीरे अंतिमराइयंसिपणपन्नं अज्झयणाई कल्लाणफलविवागाइं पणपन्नं अज्झयणाई पावफलविवागाई वागरित्ता सिद्धे बुद्धे जावप्पहीणे, पढमबिझ्यासु दोसु पुढवीसुपणपत्रं निरयावाससयसहस्सा पं०, दंसणावरणिजनामाउयाणं तिण्हं कम्मपगडीणं पणपनं उत्तरपगडीओ पं०, १५५ । जंबुद्दीवे णं दीवे छप्पन नक्खत्ता चंदेण सद्धिं जोगं जोइंसु वा ३, विमलस्स णं अरहओ छप्पन्नं गणा छप्पन्न गणहरा होत्था । ५६ । तिण्हं गणिपिडगाणं आयारचूलियावज्जाण सत्तावन्न अझयणा पं०२० -आयारे सूयगडे ठाणे, गोथूभस्स णं आवासपव्वयस्स पुरच्छिभिल्लाओ चरमंताओ वलयामुहस्स महापायालस्स बहुमज्झदेसभाए एसणं सत्तावन जोयणसहस्साई अबाहाए | ॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्रं ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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