Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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छावढि सागरोवमाई ठिई पं० । ६६ । पच्चसंवच्छरियस्स णं जुगस्स नक्खत्तमासेणं मिजमाणस्स सत्तसहि नक्खत्तमासा पं०॥ हेमवयएरन्नवयाओ णं बाहाओ सत्तट्टि सत्तष्टुिं जोयणसयाइं पणपन्नाई तिण्णि य भागा जोयणस्स आयामेणं पं०, मंदरस्सणं पव्वयस्स पुरच्छिमिल्लाओ चरमंताओ गोयमदीवस्स पुरच्छिमिल्ले चरमते एसणं सत्तसटुिंजोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पं०,सव्वेसिपि णं नक्खत्ताणं सीमाविक्खंभेणं सत्तविभागभइए समंसे पं० १६७।धायइसंडे णं दीवे अडसद्धिं चक्कवट्टिविजया अडसद्धिं रायहाणीओ ६० उक्कोसपए अडसद्धिं अरहंता समुपजिंसु वा ३ एवं चक्कवट्टी बलदेवा वासुदेवा, पुक्खरवरदीवड्ढे णं अडसहि विजया एवं चेव जाव वासुदेवा, विमलस्स णं अरहओ अडसद्धिं समणसाहस्सीओ उक्कोसिया समणसंपया होत्था । ६८ । समयखित्ते णं मंदरवजा एगूणसत्तरि वासा वासघरपव्वया पं०२०-पणतीसंवासा तीसंवासहरा चत्तारि उसुयारा, मंदरस्सपव्वयस्स पच्चच्छिमिल्लाओ चरमंताओ गोयमद्दीवस्स पच्चच्छिभिल्ले चमते एसणंएगूणसत्तरि जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पं०, मोहणिजवजाणं सत्तण्हं कम्मपगडीणं एगूणसत्तरि उत्तरपगडीओ पं०६९ समणे भगवं महावीरे वासाणं सवीसइराए मासे वइक्वंते सत्तरिएहिं राइदिएहिं सेसेहिं वासावासं पज्जोसवेइ, पासे णं अरहा पुरिसादाणीए सत्तरि वासाई बहुपडिपुन्नाइं सामनपरियागं पाउणित्ता सिद्ध बुद्धे जावप्पहीणे, वासुपुज्जे गं
अरहा सत्तरि धणूई उड्ढउच्चत्तेणं होत्था, मोहणिज्जस्सणं कम्स्स सत्तरि सागरोवमकोडाकोडीओ अबाहूणिया कम्मढ़िई कम्मनिसेगे |पं० माहिंदसणं देविंदस्स देवरन्नो सत्तरि सामाणियसाहस्सीओ पं० । ७० । चउत्थस्स णं चंदसंवच्छरस्स हेमंताणं एकसत्तरीए ॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्रं ॥
| पू. सागरजी म. संशोधित ||
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