Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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पं० १८१ । जम्बुद्दीवे दीवे बासीयं मंडलसयं जं सूरिए दुक्खुत्तो संकमित्ताणं चारं चरइ तं० - निक्खममाणे य पविसमाणे य, समणे भगवं महावीरे बासीए राइदिएहिं वीइकंतेहिं गब्भाओ गब्भं साहरिए, महाहिमवंतस्स णं वासहरपव्वयस्स उवरिल्लाओ चरमंताओ सोगंधियस्स कंडस्स हेट्ठिल्ले चरमंते एस णं बासीइं जोयणसयाई अबाहाए अंतरे पं०, एवं रुम्पिसव्वि । ८२ । समणे भगवं महावीरे बासीइराइदिएहिं वीइकंतेहिं तेयासीइमे राइदिए वट्टमाणे गब्भाओ गब्धं साहरिए, सीयलस्स णं अरहओ तेसीई गणा तेसीई गणहरा होत्था, थेरे णं मंडियपुत्ते तेसीइं वासाइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जावप्पहीणे, उसमे णं अरहा कोसलिए तेसीइं पुव्वसयसहस्साइं अगारमज्झे वसित्ता मुंडे भावित्ताणं जाव पव्वइए, भरहे णं राया चारंतचक्कवट्टी तेसीइं पुव्वसयसहस्साई अगारमज्झे वसित्ता जिणे जाए केवली सव्वन्नू सव्वभावदरिसी० १८३ । चउरासीई निरयावाससयसहस्सा पं०, उसमे णं अरहा कोसलिए चउरासीइं पुव्वसयसहस्साई सव्वाज्यं पालइत्ता सिद्धे बुद्धे जावप्पहीणे, एवं भरहो बाहुबली बंभी सुंदरी, सिजंसे णं अरहा चउरासीइं वासस्यसहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जावप्पहीणे, तिविद्वे णं वासुदेवे चउरासीइं वासस्यसहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता अप्पइट्ठाणे नरए नेरइयत्ताए उववत्रे, सक्क्स्स णं देविंदस्स देवरन्नो चउरासीई सामाणियसाहस्सीओ पं०, सव्वेऽवि णं बाहिरया मंदरा चउरासीइं २ जोयणसहस्साइं उड्ढउच्चत्तेणं पं०, हरिवासरम्मयवासियाणं जीवाणं धणुपिट्ठा चउरासीई जोयणसहस्साइं सोलस जोयणाइं चत्तारि य भागा जोयणस्स परिक्खेवेणं पं०, पंकबहुलस्स णं कण्डस्स उवरिल्लाओ चरमंताओ हेट्ठिल्ले चरमंते एस णं चोरासीई जोयणस्यसहस्साइं अबाहाए अंतरे पं०,
॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्रं ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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