Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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राइदिएहिं वीइतेहिं सव्वबाहिराओ मंडलाओ सूरिए आउटिं करेइ, वीरियप्पवायस्स णं पुव्वस्स एक्सत्तरि पाहुडा पं०, अजिते णं|| अरहा एक्कसत्तरि पुव्वसयसहस्साई अगारमझे वसित्ता मुंडे भवित्ता जाव पव्वइए, एवं सगरोऽवि राया चाउरंतचक्कवट्टी एक्कसत्तार पुव जाव पव्वइएत्ति ।७१ बावत्तरि सुवनकुमारावाससयसहस्सा पं०, लवणस्स समुहस्स बावत्तरि नागसाहस्सीओ बाहिरियं वेलं धारंति. समणे भगवं महावीरे बावत्तरि वासाई सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे बुद्धे जावप्पहीणे, थेरे णं अयलभाया बावत्तरि वासाई सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जावष्यहीणे, अभितरपुक्खरद्धे णं बावत्तरि चंदा पभासिंसु ३ बावत्तरि सूरिया तविंसु वा ३, एगमेगस्सणं रन्नो चाउरंतचक्वट्टिस्स बावत्तरिपुरवरसाहस्सीओ पं०, बावत्तरि कलाओ पं०० - लेहं गणियं रूवं नटुं गीयं वाइयं सरगयं पुक्खरगयं समतालं जूयं १० जणवायं पोक्ख( रेव)च्चं अट्ठावयं दगमट्टियं अन्नविहीं पाणविहीं वत्थविहीं सयणविहीं अजं पहेलियं २० मागहियं गाहं सिलोगं गंधजुत्तिं मधुसित्थं आभरणविहीं तरुणीपडिकम्मं इत्थीलक्खणं पुरिसलक्खणं हयलक्खणं३० गयलक्खणंगोणलक्खणं कुक्कुडलक्खणं भिंढयलक्खणं चक्कलक्खणं छत्तलक्खणं दंडलक्खणं असिलक्खणं मणिलक्खणं कागणिलक्खणं ४० चम्मलक्खणं चंदलक्खणं सूरचरियं राहुचरियं गहचरियं सोभागकर दोभागकर विजागयं मंतगयं रहस्सगयं ५० सभासंचार पडिचारं वूह पडिवूह खंधावारमाणं नगरमाणं वत्थुमाणं खंधावारनिवेसं वत्थुनिवेसं ६० नगरनिवेसं ईसत्थं छरुप्यवायं आससिक्खं हस्थिसिक्खं धणुव्वेयं हिरण्णपागंसुवनं० मणिपागं धातुपागं बाहुजुद्धं दंडजुद्धं मुट्ठिजुद्धं अद्विजुद्धं जुद्धं निजुद्धं जुद्धाइजुद्धं सुत्तखेडं नालियाखेडं वट्टखेडं || ॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्र ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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