Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
||अंतरे पं०,एवंदगभासस्स केउयस्सय, संखस्स यजूयस्सय, दयसीमस्स ईसरस्सय, मल्लिस्सणं अहओ सत्तावन मणपज्जवनाणिसया|| होत्था, महाहिमवंतरूप्पीणं वासहरपव्वयाणं जीवाणं थणुपिटुं सत्तावनं २ जोयणसहस्साई दोनि य तेणउए जोयणसए दस य एगूणवीसइभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं पं० १५७ । पढमदोच्चपंचमासु तिसु पुढवीसु अट्ठावनं निरयावाससयसहस्सा पं०, नाणावरणिजस्स वेयणिय० आउय० नाम० अंतराइयस्स एएसिंणं पंचण्हं कम्मपगडीणं अट्ठावनं उत्तरपगडीओ पं०, गोथूभस्स णं आवासपव्वयस्स पच्चच्छिमिल्लाओ चरमंताओ वलयामहस्स महापायालस्स बहमझदेसभाए एसणं अद्वावन्नं जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पं०, एवं चदिसिपि नेयव्वं 1५८।चंदस्सणं संवच्छरस्स एगमेगे उॐ एगूणसर्टि राइंदियाई राइंदिग्गेणं पं०, संभवेणं अरहा एगूणसहि पुव्वसयसहस्साई आगारमझे वसित्ता मुंडे जाव पव्वइए, मल्लिस्म णं अरहओ एगूणसहिं ओहिनाणिसया होत्या १५९ ।। |एगमेगेणं मंडले सूरिए सहिए सहिए मुहुत्तेहिं संघाइए, लवणस्स णं समुहस्स सष्टुिं नागसाहस्सीओ अग्गोदयं धारंति, विमलेणं अरहा सटुिं धणूई उड्ढउच्चत्तेणं होत्था, बलिस्स णं वइरोयणिंदस्स० सहिँ सामाणियसाहस्सीओ पं०, बंभस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सद्धिं सामाणियसाहस्सीओ पं०, सोहम्मीसाणेसु दोसु कप्पेसु सढि विमाणावाससयसहस्सा पं० । ६० । पंचसंवच्छरियस्स णं जुगस्स रिउमासेणं मिज्जमाणस्स इगसद्धिं उऊमासा पं०, मंदरस्सणं पव्वयस्स पढमे कंडे एगसट्ठिजोयणसहस्साई उड्ढउच्चत्तेणं पं०, चंदमंडले णं एगसहिविभागविभाइए समंसे पं०, एकं सूरस्सवि६१। पंचसंवच्छरिए णं जुगे बावष्टुिं पुन्निमाओ बावढेि अभावसाओ पं०, |॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्र ।
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113