Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 55
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shil Kalassagarsurl Gyarmandie ||निप्पलिवयणा हवंति जओ जओऽवियणं अहंतो भगवंतो विहरंति तओ तओऽवियणं जोयणपणवीसाएणं ईती न भवइ मारी || भवइ सचक्कं न भवइ ३० अइवुट्ठी न भवइ अणावुट्ठी न भवइ दुब्भिक्खं न भवइ पुव्वुप्पण्णावि य णं उभ्याइया वाही खियामेव उवसमंति ३४, जंबुद्दीवे णं दीवे चउत्तीसं चक्कवट्टिविजया पं० २० -बत्तीसं महाविदेहे दो भरहे एरवए, जंबुद्दीवे णं दीवे चोत्तीस दीहवेयड्ढा पं०, जंबुद्दीवे णं दीवे उक्कोसपए चोत्तीसं तित्थंकरा समुष्पजति, चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो चोत्तीस भवणावाससयसहस्सा पं०, पढमपंचमछट्ठीसत्तमासुचउसुपुढवीसुचोत्तीसं निरयावाससयसहस्सा पं०१३४ पणतीसंसच्चवयणाइसेसा पं०, कुंथू णं अहा पणतीसं धणूई उड्ढउच्चत्तेणं होत्था, दत्ते णं वासुदेवे पणतीसं धणूई उड्ढउच्चत्तेणं होत्था, नंदणे णं बलदेवे पणतीसं धणूई उड्ढउच्चत्तेणं होत्था, सोहम्मे कम्पे सुहम्माए सभाए माणवए चेइयक्खंभे हेढा उवरिं च अद्धतेरस २ जोयणाणि वजेत्ता मझे पणतीसजोयणेसु वइरामएसु गोलवट्टसमुन्गएसु जिणसकहाओ पं०, बितियचउत्थीसु दोसु पुढवीसु पणतीस निरयावाससयसहस्सा पं०।३५छत्तीसं उत्तरज्झयणा पं०० - विणयसुयं परीसहो चाउरंगिजं असंखयं अकाममरणिजं पुरिसविजा उभिजंकाविलयं नमिपव्वजादुमपत्तयं १० बहुसुयपूजा हरिएसिजं चित्तसंभूयं उसुयारिजंसभिक्खुगंसमाहिठाणाई पावसमणिज संजइज मिथचारिया अणाहपव्वजा २० समुद्दपालिज रहनेमिजं गोयमकेसिज समितीओ जन्नतिजं सामायारी खलुकिज मोक्खमग्गगई अप्पमाओ तवोमग्गो ३० चरणविही पभायठाणाई कम्मपयडी लेसज्झयणं अणगारमग्गे जीवाजीवविभत्ती य ३६, चमरस्सणं |॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्र ॥ For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113