Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandie
अजियासाहस्सीओ होत्था, मंदरचूलियाणं चत्तालीसं जोयाई उड्ढंउच्चत्तेणं पं०, संती अरहा चत्तालीसं धणूई उड्ढेउच्चत्तेणं होत्था, भूयाणंदस्स j० नागरनी चत्तालीसं भवणावाससयसहस्सा पं०, खुड्डियाए णं विमाणपविभत्तीए तइए वग्गे चत्तालीसं उद्देसणकाला पं०, फग्गुणपुण्णमासिणीए णं सूरिए चत्तालीसंगुलियंपोरिसीछायं निव्वट्टइत्ताणं चारं चरइ, एवं कत्तियाएऽवि पुण्णिमाए, महासुक्के कप्पे चत्तालीसं विमाणावाससहस्सा पं०४० नमिस्सणंअरहओ एकचत्तालीसं अजियासाहस्सीओ होत्था, चउसु पुढवीसु एक्कचत्तालीसं निरयावाससयसहस्सा पं०० - स्ययभाए पंकप्पभाए तमाए तमतमाए, महालियाए णं विमाणपविभत्तीए पढमे वगे एकचत्तालीसं उद्देसणकाला पं० ॥४१॥ समणे भगवं महावीरे बायालीसं वासाई साहियाई सामण्णपरियागं पाउणित्ता सिद्धे जाव सव्वदुक्खप्पहीणे, जंबुद्दीवस्सणं दीवस्स पुरच्छिमिल्लाओ चरमंताओ गोथूभस्सणं आवासपव्व्यस्स पच्चच्छिभिल्ले चमते एसणं बायालीसंजोयणसहस्साई अबाहाते अंतरे पं० एवं चउद्दिसंपिदओभासे संखे दयसीमे य, कालोए णंसमुद्दे बायालीसं चंदा जोइंसुवा जोइंति वा जोइस्संति वा, बायालीसं सूरिया पभासिंसु वा ३, संमुच्छिम्भुयपरिसप्पाणं उक्कोसेणं बायालीसं वाससहस्साई लिई पं०, नामकम्मे बायालीसविहे पं०२० -गइनामे जाइनामे सरीरनामे सरीरंगोवंगनामे सरीरबंधणनामे सरीरसंधायणनामे संधयणनामे संठाणनामे वण्णनामे गंधनामे रसनामे फासनामे अगुरुलहुयनामे उवधायनामे पराघायनामे आणुपुव्वीनामे उस्सासनामे आयवनामे उज्जोयनामे विहगगइनामे तसनामे थावरनामे सुहुमनामे बायरनामे पज्जतनामे अपज्जतनामे साहारणसरीरनामे पत्तेयसरीरनामे थिरनामे अथिरनामे ॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्र ॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113