Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 27
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie पं०० -अद्वादंडे अणद्वादंडे हिंसादंडे अम्हादंडे दिद्विविपरिआसिआदंडे मुसावायवत्तिए अदिनादाणवत्तिए अज्झथिए मानवत्तिए| मित्तदोसवत्तिए मायावत्तिए लोभवत्तिए ईरिआवहिए नामं तेरसभे, सोहमीसाणेसु कथ्येसु तेरस विमाणपत्थडा पं०, सोहम्मवडिंसगे णं विमाणे णं अद्धतेरस जोयणसयसहस्साई आयामविक्खंभेणं पं०, एवं ईसाणवडिंसगेऽवि जलयरपंचिंदिअतिरिक्खजोणिआणं अद्धतेरस जाइकुलकोडीजोणीपमुहसयसहस्साई ५०, पाणाउस्सणं पुवस्स तेरस वत्थू पं०, गब्भवकंतिअपंचेंदिअतिरिक्खजोणिआणं तेरसविहे पओगे पं०० -सच्चमणपओगे मोसमणपओगे सच्चमोसमणपओगे असच्चामोसणपओगे सच्चवइपओगे मोसवइपओगे सच्चामोसवइपओगे असच्चामोसवइपओगे ओरालिअसरीरकायपओगे ओरालिअमीससरीरकायपओगे वेउव्विअसरीरकायपओगे वेविअभीसरीरकायपओगे कम्मसरीरकायपओगे, सूरमंडलंजोयणेणं तेरसहिं एगसहिभागेहिं जोयणस्स ऊणं पं०, इभीसे णं रयणप्यभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं तेरस पलिओवमाइं ठिई पं०, पंचमीए पुढवीए अत्गइयाणं नेरइयाणं तेरस सागरोवमाई ठिई पं०, असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं तेरस पलिओवमाइं लिई पं०, सोहम्मीसाणेसु कथ्येसु अत्थेगइआणं देवाणं तेरस पलिओवमाई ठिई ५०, लंतए कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं तेरस सागरोवमाई ठिई ५०, जे देवा वजं सुवजं वज्जावत्तं वजयभं वजकंतं वजवण्णं वजलेसं वजरूवं वज्जसिंगं वज्जसिटुं वजकूडं वजुत्तरवडिंसगं वरं वइरावत्तं वइरथ्यभं वइरकंतं वइरवण्णं वइरलेसं वइररूवं वहरसिंगं वइरसिटुं वइरकूडं वइरुत्तरवडिंसगं लोगं लोगावत्तं लोगप्प, लोगकंतं लोगवण्णं लोगलेसं लोगरूवं लोगसिंगं लोगसिटुं ॥ ॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्र ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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