Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 29
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir ||०० -इत्थीरयणे सेणावइरयणे गाहावइरयणे पुरोहियरयणे वड्ढइरयणे आसरयणे हत्थीरयणे असिरयणे दंडरयणे चक्करयणे|| छत्तरयणे चम्मरयणे मणिश्यणे कागिणिरयणे, जंबुद्दीवेणं दीवे चउद्दस महानईओ पुव्वावरेण लवणसभुई समपंति तं० -गंगा सिंधू रोहिआ रोहिअंसा हरी हरिकंता सीआ सीओदा नरकन्ता नारिकांता सुवण्णकूला रुष्पकूला रत्ता रत्तवई, इभीसे णं रयणप्यभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेइयाणं चउदस पलिओवमाइंठिई पं०, पञ्चमीए णं पुढवीए अत्थेगइयाणं नेइयाणं चउद्दस सागरोवमाई ठिई |पं०, असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं चउद्दस पलिओवमाई ठिई ५०, सोहम्भीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं चउद्दस पलिओवमाई लिई पं०, लंतए कप्पे देवाणं अत्गइयाणं चउद्दस सागरोवमाई ठिई पं०, महासुक्के कप्पे देवाणं अत्थेगइयाणं जहण्णेणं चउद्दस सागरोवमाई ठिई ५०, जे देवा सिरिकंतं सिरिमहिअंसिरिसोमनसं लंतयं काविटुं महिंदं महिंदकंतं महिंदुत्तरवडिंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसिं णं देवाणं उक्कोसेणं चउद्दस सागरोवमाई ठिई पं०, ते णं देवा चउद्दसहिं अद्धमासेहिं आणमंति वा ४, तेसिं णं देवाणं चउद्दसहिं वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुष्पजइ,संतेगइआ भवसिद्धिआ जीवा जे चउद्दसहिं भवगहणेहिं सिज्झिस्संति जावसव्वदुक्खाणमंतं करिस्सति । १४ । पत्ररस परमाहमिआ पं०२०- अंबे अंबरिसी चेव, सामे सबलेति आवरे ।रुद्दोवरुद्दकाले अ, महाकालेत्ति आवरे ॥ ११ ॥असिपत्ते धणु कुम्भे, वालुए वेअरणीति ओखरस्सरे महाघोसे, एते पन्नरसाहिआ ॥१२॥णमी णं अहा पन्नरस धणूइं| उड्ढउच्चत्तेणं होत्था, धुव(प्र० णिच्च राहू णं बहुलपक्खस्स पडिवए पत्ररसभागं पन्नरसभागेणं चंदस्स लेसं आवरेत्ताणं चिट्ठति, || ॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्र ॥ १८ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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