Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 30
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir |तंचार पढमाए पढमं भागं बीआए दुभागं तइआए तिभागं चउत्थीए चउभागं पञ्चमीए पञ्चभागं छभागं सत्तमीए सत्तभाग अट्ठमीए अट्ठभागंनवमीए नवभागं दसमीए दसभागं एकारसीए एक्कारसभागं बारसीए बारसभागं तेरसीए तेरसभागं चउद्दसीए चउद्दसभाग पनरसेसु पनरसभागं, तं चेव सुक्लपक्खस्स य उवदंसेमाणे उवदंसेमाणे चिट्ठति, तंजहा पढमाए पढम् भागंजाव पन्नरसेसु पन्नरसभाग, छ णक्खत्ता पनरसमुहत्तसंजुत्ता पं०० - सतभिसय भरणि अद्दा असलेसा साई तहा जेट्टा( ५० इ तहय जेहाय) एते छण्णक्खत्ता पन्तरसमुहुत्तसंजुत्ता ॥१३॥चेत्तासोएसुणं मासेसु पनरसमुहत्तो दिवसो भवति, एवं चेत्त( तासो )मासेसु पण्णरसमुहत्ता राई भवति, विजाअणुप्पवायस्स णं पुवस्स पन्नरस वत्थू पं०, मणूसाणं पण्णरसविहे पओगे पं०२० -सच्चमणपओगे मोसमणपओगे सच्चमोसमणपओगे असच्चामोसमणपओगे सच्चवइपओगे मोसवइपओगे सच्चमोसवइपओगे असच्चामोसवइपओगे ओरालिअसरीरकायपओगे ओरालिअमीससरीरकायपओगे वेउव्वियसरीरकायपओगे वेव्विअभीससरीरकायपओगे आहारयसरीरकायप्पओगे आहारयमीससरीरकायप्पओगे कम्मयसरीरकायपओगे, इभीसे णं रयणप्यभाए पुढवीए अत्थेगइआणं नेरइआणं पण्णरस पलिओवमाई ठिई पं०, -पंचमीए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइआणं पण्णरस सागरोवमाई ठिई ५०, असुरकुमाराणं देवाणं अगइयाणं पण्णरस पलिओवमाई ठिई पं०, सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्गइआणं देवाणं पण्णरस पलिओवभाई ठिई पं०, महासुक्के कप्पे अत्थेगइआणं देवाणं पण्णरस सागरोवमाई ठिई ५०, जे देवा णंदं सुणंदं णंदावत्तं णंदप्पणंदकंतं णंदवण्णं णंदलेसंणंदज्झयं णंदसिंगंणंदसिद्धं || ॥श्रीसमवायाङ्ग सूत्र ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113