Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥श्रीसमवायाङ्ग सूत्रं ॥ सुयं मे आउसंतेणं भगवया एवमक्खायं( इह खलु समणेणं भगव्या महावीरेणं आइगरेणं तित्थगरेणं सतंसंबुद्धेणं पुरिसुत्तमेणं पुरिससीहेणं पुरिसवरपुंडरीएणं पुरिसवरगंधहत्थ्णिा लोगुत्तमेणं लोगणाहेणं लोगहिएणं लोगपईवेणं लोगपज्जोअगरेणं अभयदएणंचक्खुदएणं मग्गदएणं सरणदएणं जीवदएणंधम्मदएणंधम्मदेसएणंधम्मनायगेणं धम्मसारहिणाधम्मवरचाउरंतचक्कवट्टिणा/ अपडिहयवरनाणदंसणधरेणं वियदृच्छउमेणं जिणेणं जाव( प्र०)एणं तिनेणं तारएणं बुद्धेणं बोहएणं मुत्तेणं भोयगेणं सव्वन्त्रणा सव्वदरिसिणा सिवमयलमरूय मणंतमक्खयमव्वाबाहमपुणरावित्ति( प्रत्त्यं सिद्धिगइनामधेयं ठाणं संपाविउकामेणं इमे दुवालसंगे गणिपिडगे पन्नत्ते, तंजहाआयारे १ सूयगडे २ ठाणे ३ समवाए ४ विवाहपन्नत्ती ५ नायाधम्मकहाओ ६ उवासगदसाओ ७ अंतगडदसाओ, ८ अणुत्तरोववाइदसाओ ९ पण्हावागरणं १० विवागसुए ११ दिद्विवाए १२, तत्थ णं जे से चउत्थे अंगे समवाएत्ति आहिते तस्स णं अयभट्टे पन्नत्ते तंजहा -पा० ) एगे आया एगे अणाया एगे दंडे एगे अदंडे एा किरिआएगा अकिरिआ एगे लोए एगे अलोए एगे धम्मे एगे अधम्मे एगे पुण्णे एगे पाएगे बंधे एगे मोक्खे एगे आसवे एगे संवरे एगा वेयणा एगा णिज्जरा१८ जंबुद्दीवे दीवे एगंजोयणसयसहस्स ॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्र ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113