Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandie छहिं भवागहणेहिं सिज्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति १६ । सत्त भयद्वाणा पं०२० - इहलोगभए परलोगभए आदाणभए|| अकम्हाभए आजीवभए भरणभए असिलोगभए, सत्त समुग्धाया पं०० वेयासमुग्धा कसायसमुग्धा मारणंतियसमुग्घाए वेउव्वियसमुग्धाए तेयसमुग्धाए आहारगसमुग्धाए केवलिसमुग्धाए, समणे भगवं महावीरे सत्त रयणीओ उड्ढंउच्चत्तेणं होत्था, (इहेव जंबुद्दीवे दीवेx ) सत्त वासहरपव्वया पं०० -चुल्लहिमवंते महाहिमवंते निसढे नीलवंते रुप्पी सिहरी मन्दरे, (इहेव जम्बुद्दीवे दीवेx)| सत्त वासा पं०० -भरहे हेमवते हरिवासे महाविदेहे रम्मए ए( हे )रण्णवए एरवए, खीणमोहे गं भगवं मोहणिजवज्जाओ सत्त कम्मपयडीओ वेएइ, महानक्खत्ते सत्ततारे पं० कत्ति( अभि पा० )आइआ सत्त नक्खत्ता पुव्वदारिआ ५०, महाइआ सत्त नक्खत्ता दाहिणदारिआ पं०, अणुराहाइआ सत्त नक्खत्ता अवरदारिआ पं०, धणिढाइआसत्त नक्खत्ता उत्तरदारिआ पं०, इमीसेणंरयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं सत्त पलिओवभाई ठिई पं०, तच्चाए णं पुढवीए नेरइयाणं उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाई ठिई पं०, चउत्थीए णं पुढवीए नेइयाणं जहण्णेणं सत्त सागरोवमाई ठिई ५०, असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं सत्त पलिओवमाई लिई पं०, सोहम्भीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं सत्त पलिओवमाई ठिई पं०, -सणंकुमारे कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाई ठिई पं०, माहिंदे कप्पे देवाणं उक्कोसेणं साइरेगाई सत्त सागरोवमाई ठिई ५०, बंभलोए कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं सत्त साहिया (प्र० साहियसत्त) सागरोवमाई ठिई ५०, जे देवा समं समयभं महापभं पभासं भासुरं विभलं कंचणकूडं सणंकुमारवडिंसगं ॥ ॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्र ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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