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अध्यात्मकल्पद्रुम
अर्थ - "क्या जम (यम) मर गया है ? क्या दुनिया की अनेक व्याधियाँ नष्ट हो गई हैं ? क्या नरकद्वार बन्द हो गये हैं ? क्या आयुष्य, धन, शरीर और सगे-सम्बन्धी सदैव के लिये अमर हो गये हैं ? जो तू आश्चर्य - हर्षसहित विषयों की ओर विशेषरूप से आकर्षित होता है ?"
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विमोसे किं विषयप्रमादैभ्रमात्सुखस्यायतिदुःखराशेः । तद्गर्धमुक्तस्य हि यत्सुखं ते, गतोपमं चायतिमुक्तिदं तत् ॥९॥
अर्थ - " भविष्य में जो अनेक दुःखों की राशि है, उनमें सुख के भ्रम से तू विषयप्रमादजन्य बुद्धि से क्यों लुब्ध हुआ जाता है ? उस सुख की अभिलाषा से मुक्तप्राणी को जो सुख होता है वह निरुपम है तथा भविष्य में वह मोक्ष की प्राप्ति करानेवाला है ।"