Book Title: Visheshavashyak Bhashyam Uttararddh
Author(s): Jinbhadra Gani Kshamashraman
Publisher: Rushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha

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Page 414
________________ विशेषाव कोव्याचार्य नमस्कारपूजाभ्यां फलसिद्धिः ॥९०६॥ ॥९०६॥ इहलोगम्मि तिदंडी सादिव्वंमाउलंगवणमेव । परलोए चंडपिंगल हुंडियजक्खो य दिटुंता ॥नि.१०२१॥ सयओवओगकिरियागुणलाभोतप्पओयणमिहेव । कालंतरनिप्फत्ती फलमिह परलोगमोक्खेसु॥३९६८॥ कम्मक्खओऽणुसमयं तल्लाभे चेव तदुवओगाओ। सव्वत्थेसु य मंगलमविग्घहेऊ नमोकारो ॥३९६९।। सुयमागमोत्ति य तओ सुओवओगप्पओयणो तं च। आयहियपरिणाभावसंवराई बहुविगप्पं ॥३९७०॥ पूया फलप्पया नहि नहं व कोवप्पसायविरहाओ। जिणसिद्धा दिटुंतो वेधम्मेणं निवाईया ।।३९७१।। पूयाणुवगाराओऽपरिग्गहाओ विमुत्तिभावाओ । दूराइभावओवि य विफला सिद्धाइपूयत्ति ॥३९७२॥ जिणसिद्धा दिति फलं पूयाए केण वा पवण्णमिण? | धम्माधम्म निमित्तं फलमिह ज सव्वजीवाणं ॥३९७३।। ते य जओ जीवगुणा तओ नदेया नवा समादेया । कयनासाकयसंभोगसंकरेगत्तदोसाओ ॥३९७४॥ नाणाणाबाहसुहं मोक्खो पूयाफलं जओऽभिमयं । तं नायपज्जयाओ देयं जीवाइभावो व्व ॥३९७५॥ भत्ताइ होज देयं न तदत्थो पूयणप्पयत्तोऽयं । तंपि सकओदयं चिय बज्झनिमित्तं परो नवरं ॥३९७६।। कम्मं सुहाइहेउं बज्झयरं कारणं जओ देहो । सद्दाइबज्झनरयं जइ दायारे कहा का णु ? ॥३९७७।। तम्हा सकारणंचिय सुहाइ बज्झं निमित्तिमेत्तायं । को कस्स देइ हर व निच्छयओ? का कहा सिद्धेः॥३९७८॥ जइ सव्वं सकयं चिय न दाणहरणाइ फलभिहावन्नं । नणु जत्तो च्चिय सकयं तत्तो चिय तप्फलं जुत्तं ॥३९७९॥ दाणाइ पराणुग्गहपरिणामविसेसओ सओ चेव । पुण्णं हरणाइ परोवधायपरिणामओ पावं ॥३९८०॥ RS२०5AILAS

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