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करनेवाले 'आचार्य महाराज' और उनकी मुझपर जो ' महाकृपा' हुई, उसे तहया समझनी चाहिये। विमलालोक अंजनको 'सम्यग् ज्ञान, तत्त्वप्रीतिकर जलको 'सन्यग्दर्शन' महाकल्याणक परमानको सम्यक्चारित्र' सद्बुद्धिको उत्तम मार्गर्ने प्रवृत्त करनेवाली 'सुन्दर बुद्धि' और तीनों औषधियोंसे भरी हुई कठौतीको यह 'क्या' समझनी चाहिये। ___ इस प्रकारसे संक्षेपसे यह सामान्य योजना की गई, अब विशेष योजना गचमें करते हैं।