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अनेक प्रकारकी पुतलियों आदिकी रचनासे युक्त होंगे, उनमें बहुत प्रकारकी भोजनशाला गोशाला रतिशाला आदि शालाएं होंगी,बहुत विस्तार होगा, अनेक तरहके प्रकोष्ठ (कोठे ) होंगे, खूब लम्बे चौड़े अनेक आकारके सभामंडप होंगे, वे चारों ओरसे बड़े भारी कोटसे घिरे हुए होंगे, इन्द्रके महलोंकी भी हँसी करेंगे, और सात सात आठ आठ खनके होंगे। मेरे इन महलोंमें मरकत, इन्द्रनील, महानील, कर्केतन, पद्मराग, वज्र, वैडूर्य, चन्द्रकान्त, सूर्यकान्त, चूड़ामणि, और पुष्पराग आदि रत्नोंकी राशियां प्रकाश करेंगी, सोनेके ढेर अपने पीले प्रकाशको चारों ओर प्रदर्शित करते हुए शोभा देंगे, धान्य, चांदी और दूसरी धातुएं इतनी अधिक होगी कि, उनका अनादर होने लगेगा, मुकुट, वाजूवन्द, कुंडल और प्रालम्ब आदि भूषण मेरे हृदयको आनन्दित करेंगे, चीनांशुक (रेशमी ), पट्टाँशुक (सूती )
और देवांशुक ( देवदूष्य ) वस्त्र मेरे चित्तमें प्रेम उत्पन्न करेंगे, महलके समीपवर्ती लीला करनेके ऐसे वगीचे मेरे हृदयको. आनन्दको बढ़ावेंगे, जिनमें कि मणि सुवर्णादिकी विचित्र रचनासे मंडित क्रीड़ा करनेके पर्वत शोभित होंगे, दीर्घिका, (बावड़ी ), गुंजालिका, और यंत्रवापिका आदि अनेक प्रकारके जलाशयोंके कारण जो मनको हरण करनेवाले होंगे, बकुल, पुन्नाग ( नाग. केशर), नाग (नागवेल ), अशोक, चम्पक आदि विविध प्रकारके वृक्षोंके कारण जो विस्तृत होंगे, पांचों रंगके सुगंधित और सुन्दर फूलोंके भारसे शाखाओं तक नम्र हुए कुमद कोकनद आदि कमलोंसे जो सुन्दर होंगे, और जहां घूमते हुए भोरोंके सुन्दर गुंजारयुक्त गीत होते होंगे । सूर्यके रथोंकी सुन्दरताको
१ कंठसे नीचे लटकनेवाली माला । २ जिस वावड़ीमें फव्वारे लगे हुए हों।