Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha

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Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir य०/२३ 0/२४ औ०१९ रा०२० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥१६॥ एवं बहुइ चंदो , बहुति , , समणे० अंबसाल. , सरीरसंलेहणाविहिं एस करेमि पणामं " " " नि० २६ प्रकी०२७ , किराराहणया , समासो भणिओ एसा कप्पवईणं ,, गहितावि संती , णं गंधविही भवणवईणं , वंतरियाणं एसो बलाबलविही तारापिंडो " " २७-२०७४ | एसो तारापिंडो २७-२०५५ कर ण चंदमंडला २५-१४३सू० २४-७५ | ,वि टिइविसेसो २७-९५९ छाउमस्थियसमु० २२-३४४सू० २०-७० , सबियारको २७-१५५८ , णक्खत्तमंडला २५-१५८सू० २७-१४२० | ओगाहणसंठाणा २२-८ भंते! अणुवेलंधर०२१-१६१सू० २७-७४ | ओगाहणा अवाए २२-२०८ गंधा २१-९९सू० २७-१३४ ओगाहणार सिद्धा २२-१६६ , पुढवीओ २१-८२सू० २७-१४४५ २७-१२१५ , माउअंगा २७-सू० ओगाहणाएँ सिद्धा समाओ २२-१४७सू० २७-१७२९ ओ(उ)ग्गाहर केवइयं २४-सू० संठाणा २२-१५९सू० २७-११०७ | ओमज्जायणमंडब्बा २५-१०६ लेसाओ २२-२१४सू० ओरालियसरीरस्स०कतिदि०२२-२७७सू० २२-२२५सू० २७-११३२ , केमहा०२२-२७०सू० लेस्साओ २२-२३१सू० २७-९९४ ओरालियसरीरे० किंसं० २२-२६९सू० ,, ,, दुम्भि० २२-२२८सू० २७-२००८ ओसनोवि विहारे २७-७४३ "" सूरमंडला २५-१२८सू० २७-९२८ ओसप्पिणीइमीसे २५-२५ ,, मंडलाइ वश्चर २४-१ २१-५२ | ओसरणमवसरित्ता २७-१८ २४-३सू० २४-५६ । ओहिनाणे विसओ २७-११६८ | काया णु तं सुमरणं २७-१८३| For Private and Personal Use Only

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