Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha
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ऑ०१९ रा० २० जी०२१ प्रज्ञा०२२
सूर्य०१२३
चं०२४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७
लज्जाइ गारवेण य २७-२२७ लासिअलउसिअदमिली २५-१० वडोवड्डी मुहुत्ताण लद्धं अलपुव्वं २७-१२६ - लीलाअलसमाणस्स २७-७१३
२४-४सू० .. तु तए एवं २७-५९५ लेसाण सुक्कलेसा
२७-५९९ | वण्णेहि य गंधेहि य २७-१३४२ लण वे माणुस्सं
लेसा दिट्ठी नाणे
२१-१२ | बत्तुलसरिसवरूवा । २७-११७८ लल्लकनिरयविश्रणाओ ,२७-३८६ | लोगविजयं करितेण
२७-७०७
वत्थाण य उष्पत्ती लवणयमुहसामाणो २७--१४८५ लोगसहावो धी धी २७-१८३२ वये सुवप्पे महावप्पे २५-६३ लवणसमुदं धायइ संडे० २१-१७५सू० |लोगागासपएसे निगोयजीवं २२--१०४ | बम्महसरसयविद्धो २७-३८७ लवणसिहा पं० केवतियं चक्क० लोगागास परित्तजीवं २२-१०५ वयछक कायछ
२७-१३२० केव० अइ० वइति वा २१-१५९सू० लोमेण अहव धत्थो
वयणामपण भुवर्ण
२७-२० लवणस्स पं० के महालए २१-१७२सू० लोहस्स य उप्पत्ती
वयं पुण० सूरिए सव्वम्भतरं २४-१७सू० लवणस्स केरिसए अस्साए २१-१८८सू० | लोहियहालिद्दा पुण २७-१९८६ | घरपउमकण्णियामंडियाहिं २७-९६३ लवणे कतिखुत्तो० बढति वा २१-१५८सू० वइराड वच्छ वरणा
| वरपउमगभगोरा २७-११५२ लवणे णं० कति वंदा २१-१५६सू० बच्चाओ असुइतरे
२७-५६३ वरुणोदस्स णं० जहानामए २१-१८८सू० लवणे गं० किं उसितोदगे २२-१७०सू० | वच्छे सुवच्छे महावच्छे
| वलयामुहसामाणो लवणे ,, ,, संठिते २१-१.७३सू० | बजेह अप्पमत्ता
२७-७७२ बदगयजरमरणभये लवणे ,, केवतियं उचेहपरि०२१-१७१सू० | वढें खु वलयगंपिव २७-११३८ | ववहारगणियदिटुं
२७-५०३ लहिऊणं संसारे २७--१३०५ | बट्टे वट्टस्सुवरिं
२७-११४० । वसिऊण देवलोए २७-१६२४
ENT॥६१
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