Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha

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Page 72
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir औ०१९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ सुहमे० सुहमेत्ति कालतो २२-२३६सू० ! से इमे गामागर जाव० १९-४१० से कितं ओराला तसा पाणा २१-१८सूसूय०२२ सूई जहा ससुत्ता २७-३६१ | सेओ राया धारिणी देवी २०-४सू० खरबायरपुढवि० २२-१५सू० | चं०/२४ सूणारंभपवत्तं २७-८११ / से किं तं अकम्मभूमग २१-११४सू० खहयरपं० ति० २२-३६सू० जं० २५ सूरमंडलस्स पं० सूर० २५-१३०२० ,, ,, ,, अजीवपन्नवणा २२-२सू० खहयरा २१-४१सू० नि० २६ सूरमंडले णं० केवइयं २५-२३१सू०. ,, ,, ,, अजीवाभिगमे २१-३सू० गम्भवऋतिय० २१-३८सू० प्रकी०२७ सूरस्स णं०का अग्ग० २१-२०५सू० ,,, अणंतरसिद्ध० २२-७सू० २१-१०८सू० सूरस्स य सूरस्स य २७-२०८३ ,, अम्भिंतरए तवे १९-२०सू० चउरिदियसंसार०२२-२९सू० , अरूविअजीव० २२-३सू० चरिंदियाअंधिया२१-३१सू० २४-८४ ,, , धम्मस्थि० २१-४सू० जलयरपंचिंदिय० २२-३३सू | सूरतरिया चंदा २४-८५ ,, असंसारसमा० २२-६सू० जलयरा २१-३६सू० २७--१०८४ ,, असंसारसमावणं० २१-७सू० २१-३९सू० २१-८० अंतरदीवगा २१-१०९सू० जीवपनवणा २२-५सू० सूरिया केवइयं कालं ठिती २०-४६सू० आउक्काइया २१-१६सू० जीवाभिगमे २१-६० सूरियाभस्स० २०-८२० ... दुविहा० पं०२२-१६सू० जीवाजीवाभिगमे २१-२सू० सूरियाभाति ! समणे . २०-१८सू० ,, इत्थीओ णपुंसका २१-५२सू० सूरियामे० अट्ठसयं चक० २०-३०सू० ,,, उबमिए २५-१९सू० तसा २१-२३सू० सूरियामे० देवेणं सा दिव्वा २०-४७सू० । , एगेदियसंसार० २२-१०सू ,, तिरिक्व० २१-९७सू० For Private and Personal Use Only

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