Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha
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औ०१९ रा०२० जी०२१ प्रज्ञा०२२
(२४
जं० २५
RADEKENSE
नि० २६ प्रकी०२७
थावरा
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किं तं तेइंदियसंसार० २२-२८सू० | से किं तं परंपरसिद्धअसंसा० २२-८सू० | से किं तं बेई० पुलाकिमिया २२-२७सू० .", तेइंदिया०ओवइया २१-३०सू० ,,,,, परिसप्पथल० २२-३५सू० ,,, भवणवासी २१-११६सू० , तेऊक्काइया २१-२४सू०
पंचेदियतिरिक्ख० २१-३४सू० मणुस्सा २२-३७सू० २२-१७सू० पंचिंदियजलयर०२२-३२सू०
० संमुच्छिम० २१-४२सू० थलयरपंचिं० २२-३४सू० पंचेंदियसंसार २२-३०सू०
"
२१-१०६सू० थलयरसमु० २१-३७सू० पंचेंदिया २१-३२सू०
रुक्खा
२२-२३सू० थलयरा २१-४०सू० पुढविकाइया २१-११सू०
रूविअजीव० २२-४सू० २१-१०सू० ,, सुहुम० २२-११सू०
रूविअजीवा० खंघा २१-५सू० २२-३८० पुरिसा २१-५३सू०
वणस्सइकाइया २२-१९सू० २१-४३सू बादरपुढवि० २२-१३सू०
२१-१८सू० २१-११५मू० बादरते उक्काइया २१-२६सू०
बाउकाइया २२-१८सू० नेरइया २१-३३सू० बादरवणस्सति २२-२१सू०
वाउ० सुहुम० २१-२७सू० २६-६७सू० बायरआउक्काइया २१-१७सू०
सण्हबायर० २२-१४सू० २२-३१० बायरपुढवि० २१-१४सू० सहबासत्तविहा २१-१५सू० पत्तेयसरीर० २२-२२सू० बायरवणस्सइ० २१-२०स०
सब्बजीदाभिगमे २१-२४५सू० २१-२१सू० बाहिरए १९-१९सू०
संमुच्छिम ति० २१-३५सू० ..., पन्नवणा
२२-१० । बेइंदिया
संमुच्छिममणुस्सा २१-२०७सू०
देवा
ENGEN
॥७०॥
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